देश में एक करोड़ रुपए सालाना कमाने वाले कितने हो सकते हैं? आयकर विभाग की मानें तो 98,827 और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की मानें तो 81 हजार। लेकिन ये एजंसियां खुद भी मानती हैं कि एक व्यक्ति अगर ईमानदारी से आयकर चुकाता है तो उसके साथ ही 11 व्यक्ति अपनी आमदनी छुपाने का जरिया ढूंढ निकालते हैं। आयकर भरने के मामले में वेतनभोगियों और गैर वेतनभोगियों में बड़ा फर्क दिखता है। ऐसे लोगों को ढूंढ निकालने का फ्रेमवर्क तैयार करने में एजंसियां जुटने का दावा भर कर पा रही हैं। आयकर दाताओं की संख्या 6.84 करोड़ है।
दरअसल, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में छोटे और मंझोले कारोबारी और गैर वेतनभोगी पेशेवर कई वजहों से कर नहीं देने के रास्ते ढूंढ लेते हैं। इसमें एक तरीका है कर मुक्त कृषि आय दिखाना। इसका चलन सिर्फ गांवों में ही नहीं, बड़े शहरों के नजदीकी क्षेत्रों में भी बढ़ा है। छोटे उद्योगों के लोग नकद में ही ज्यादा भुगतान करते हैं, ताकि वे लोग कर देने से बच सकें। इस कारण एक व्यक्ति ईमानदारी से आयकर भरता है तो 11 व्यक्ति अपनी आमदनी छुपाते हैं और सरकार ऐसे लोगों की पहचान का अभी तक कोई जरिया नहीं तैयार कर पाई है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ें हैं कि देश में एक करोड़ रुपए से अधिक की घोषित आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 81,000 से भी अधिक हो गई है। यह आंकड़ा 2018-19 का है। सीबीडीटी के मुताबिक, पिछले तीन साल में करोड़पति क्लब वाले ऐसे करदाताओं की संख्या में 68 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। सीबीडीटी ने आयकर और प्रत्यक्ष कर के अपने बाकी पेज 8 पर सांख्यिकी आंकड़ों की तुलना करते हुए अपनी उपलब्धि के तौर पर कहा कि आकलन वर्ष 2014-15 में एक करोड़ रुपए से अधिक की आय दिखाने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या 48,416 थी।
सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्रा के मुताबिक, ‘हम तमाम माध्यमों से प्राप्त डेटा देख रहे हैं। हम लगातार प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि ईमानदार करदाताओं का सम्मान और उनकी हमेशा मदद की जाए। कर चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी और अभियोजन कार्रवाई की जाएगी।’
दूसरी तरफ, आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में फरवरी तक कुल 6.39 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल हुए हैं, जिसमें से 1.72 करोड़ रिटर्न ऐसे हैं, जिनमें सालाना आय एक करोड़ रुपए से अधिक दिखाई गई है। इसमें व्यक्तिगत करदाताओं के साथ कंपनियां भी शामिल हैं। विभाग के मुताबिक सालाना एक करोड़ रुपए से अधिक आय दिखाने वाले करदाताओं में 98,827 व्यक्तिगत करदाता हैं। आयकर विभाग का मानना है कि सालाना एक करोड़ रुपए से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों की संख्या एक लाख का आंकड़ा पार कर सकती है।
आयकर विभाग के द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि आयकर जमा करने वाले वेतनभोगियों और गैरवेतनभोगियों में बड़ा फर्क दिखता है। पिछले वित्त वर्ष में देश में लगभग 8.6 लाख डॉक्टरों में आधा से भी कम ने आयकर का भुगतान किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट में भी तीन में से सिर्फ एक ही आयकर जमा करता है। इन एजंसियों का तर्क है कि सरकार ने कर वसूली को लेकर कई कड़े कदम उठाए, पारदर्शिता बढ़ी। महज एक साल में ही करोड़पति करदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने बैंकों में जमा की गई नकदी के आधार पर कई लाख लोगों को पत्र भेजे और नए करदाता सामने आए।
अलबत्ता लगाम कितना कसा जा सका है, इस पर सवाल बरकरार हैं। थिंक टैंक संस्था पीपल रिसर्च आॅन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) ने अप्रैल, 2015 से मार्च 2016 के आयकर आंकड़ों को लेकर घरेलू सर्वे कराए और इसके चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। पता चला कि करोड़पति क्लब में करदाता एक है तो कर ढांचे के दायरे से 11 लोग बाहर हैं। उस सर्वे में पाया गया कि साल में पांच करोड़ रुपए से ज्यादा की आय वाले 68 हजार लोग हैं, जबकि आयकर भरा सिर्फ पांच हजार ने।