प्रधानमंत्री चंद्रशेखर टीएन शेषन को भारत का मुख्य चुनाव आयुक्त बनाना चाहते थे। खुद शेषन दुविधा में थे कि वो इस पद को लें या नहीं। वो राजीव गांधी के पास गए और फिर तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन के पास। लेकिन दोनों ने सलाह दी कि CEC तभी बनना जब कोई दूसरी पोस्ट मिलने की उम्मीद न हो। शेषन और ज्यादा दुविधा में पड़ गए। फिर को गए कांची के शंकराचार्य के पास। उन्होंने कहा- जाओ ये बेहद सम्मानित पद है।

अपना जवाब पाकर शेषन ने कानून मंत्री को फोन किया और कहा कि वह कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं। यह घटनाक्रम शेषन की आत्मकथा ‘थ्रू द ब्रोकन ग्लास’ में दर्ज है, जिसे उनके मरणोपरांत प्रकाशित किया गया। शेषन का 2019 में निधन हो गया था। किताब में कहा गया है कि तत्कालीन सीईसी पेरी शास्त्री का खराब स्वास्थ्य के कारण निधन हो गया था। सरकार ने रमा देवी (सचिव कानून) को कार्यवाहक सीईसी के रूप में नियुक्त करने की योजना बनाई गई। देवी के पदभार संभालने के चौथे दिन कैबिनेट सचिव विनोद पांडे का फोन शेषन को आया। तब वो योजना आयोग के सदस्य थे।

कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी दे रहे थे CEC बनने पर जोर

सरकार शेषन को सीईसी नियुक्त करने की योजना बना रही है। किताब में कहा गया है- मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कोई मुझे सीईसी बनाने के बारे में सोचेगा। इसलिए मेरी तत्काल प्रतिक्रिया नहीं कहने की थी, क्योंकि मेरा कभी चुनावों से कोई लेना-देना नहीं रहा था। कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने उनसे कहा कि मुझे आपसे जवाब चाहिए, ताकि मैं आपको सीईसी बनाने के लिए कागजात तैयार करा सकूं।

रात को ढाई बजे राजीव गांधी के बुलावे पर पहुंचे उनके घर

शेषन ने कुछ समय के लिए निर्णय पर विचार किया। वह यह सोचने की कोशिश कर रहे थे कि वह किसकी सलाह ले सकते हैं। रात के दो बज रहे थे। उन्हें राजीव गांधी का नंबर पता था। उन्होंने उन्हें फोन किया। राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तब शेषन कैबिनेट सचिव थे। गांधी ने उन्हें अपने आवास पर आने के लिए कहा। शेषन रात करीब ढाई बजे वहां पहुंचे। पुस्तक के अनुसार गांधी ने शेषन से कहा, क्या? क्या वह आपको सीईसी का पद देने जा रहे हैं? वह बाद में पछताएंगे। यह नौकरी न तो आपके लिए अच्छी है। न ही आपको सीईसी बनाना चंद्रशेखर के लिए अच्छा होगा।

शंकराचार्य ने कहा तो तुरंत सुब्रमण्यम स्वामी को फोन कर कह दी हां

राजीव ने कहा कि इस पद को तभी लें जब कोई अन्य पद उपलब्ध न हो। फिर शेषन ने राष्ट्रपति आर वेंकटरमन से मिलने का समय मांगा। राष्ट्रपति की भी राय राजीव की तरह थी। आखिर शेषन ने कांची के शंकराचार्य से संपर्क करने का फैसला किया। किताब में लिखा है कि इससे पहले कि मैं शंकराचार्य से पूछ पाता उन्होंने खुद कहा- यह एक सम्मानजनक काम है, इसे स्वीकार कर लो। उन्होंने तुरंत कानून मंत्री को फोन कर कहा कि वह सीईसी बनने के लिए तैयार हैं। शेषन ने दिसंबर 1990 को भारत के नौवें सीईसी बने और दिसंबर 1996 तक इस पद पर बने रहे।