स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को उसके काले कारनामों की सजा बुधवार को मिल ही गई। उम्रकैद की सजा सुनकर उसने अपने सिर से टोपी नोच ली, सिर पर हाथ रखा और जोर-जोर से रोने लगा। ये सजा उसे जोधपुर कोर्ट ने अपने आश्रम में पांच साल पहले एक मासूम नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में सुनायी है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली लड़की आसाराम के मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बने आश्रम में रहकर पढ़ती थी। अपने बयान में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने 15 अगस्त 2013 की रात में अपने आश्रम में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। विशेष जज मधूसूदन शर्मा का फैसला यौन हिंसा और नाबालिग से दुष्कर्म के ऊपर लंबी बहस के बाद आया है। ये फैसला बुधवार को जोधपुर की सेंट्रल जेल में पढ़ा गया, जहां 77 साल का आसाराम पिछले चार सालों से अपने किए कुकर्म की सजा भोग रहा था।
अदालत ने दो अन्य दोषियों शिल्पी और शरद को 20 साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि कोर्ट ने दो अन्य आरोपियों प्रकाश और शिवा को बरी कर दिया। जब आसाराम को कोर्ट से बाहर लाया गया तो उसने सिपाही से कहा, “जेल में रहेंगे। खाएंगे, पिएंगे और मौज करेंगे।” आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल की बैरक नंबर 2 में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन जल्दी ही उसने सीने में दर्द की शिकायत की। उसके वकीलों ने कहा कि वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। उनका आरोप था कि कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के दबाव में ये फैसला दिया है। राजस्थान पुलिस की 1300 पेज की चार्जशीट में आसाराम पर यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म और नाबालिग से छेड़खानी के आरोप लगाए गए थे।
आसाराम मामले में बहस सात अप्रैल को पूरी हुई और अदालत ने 25 अप्रैल को सजा सुनाने तक फैसला सुरक्षित रख लिया था। आसाराम को उसके इंदौर आश्रम से गिरफ्तार किया गया था और एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था। वह 2 सितंबर 2013 तक न्यायिक हिरासत में था। आसाराम के खिलाफ गुजरात के सूरत जिले में भी एक दुष्कर्म का मामला चल रहा था। इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने बचाव पक्ष को पांच हफ्ते का वक्त ट्रायल पूरा करने के लिए दिया। इस बीच, आसाराम ने जमानत के लिए कुल 12 अर्जियां दाखिल की थीं। इनमें से छह अर्जियों को ट्रायल कोर्ट, तीन को राजस्थान हाईकोर्ट और तीन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।