इससे भविष्य में जल सुरक्षा, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र के एक नए अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। केंद्रीय जल आयोग ने 2015 में बताया था कि देश में 50 साल से अधिक पुराने 140 बांध में से एक-चौथाई अपनी प्रारंभिक भंडारण क्षमता का कम से कम 30 फीसद गंवा चुके हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘यूएनयू-आइएनडब्ल्यूईएच का अनुमान है कि भारत में लगभग 3,700 बांध 2050 तक अपने आरंभिक भंडारण का औसतन 26 फीसद हिस्सा खो देंगे।’ इसमें कहा गया कि इस बीच, चीन अपनी करीब दस फीसद भंडारण क्षमता खो चुका है और 2050 तक दस फीसद और खो देगा। तलछट के जमा होने से किसी भी बांध या जलाशय की क्षमता साल-दर-साल कम होती जाती है।

जमा हुए तलछट ने पहले ही दुनियाभर में लगभग 50,000 बड़े बांधों को उनकी भंडारण क्षमता का अनुमानित 13 से 19 फीसद नुकसान पहुंचाया है। संयुक्त राष्ट्र के जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर विश्वविद्यालय संस्थान के अध्ययन में सामने आया है कि 150 देशों में 47,403 बड़े बांधों में 2050 तक 6,316 अरब घन मीटर की आरंभिक वैश्विक भंडारण क्षमता घट कर 4,665 अरब घन मीटर रह जाएगी और इस तरह 26 फीसद भंडारण क्षमता का नुकसान होगा।

अध्ययन के अनुसार 1,650 अरब घन मीटर भंडारण क्षमता का नुकसान होगा और यह मात्रा करीब-करीब भारत, चीन, इंडोनेशिया, फ्रांस और कनाडा के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर है। अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के सबसे अधिक बांध वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2022 में मूल बांध भंडारण क्षमता के लगभग 13 फीसद नुकसान होने का अनुमान है। इसमें सदी के मध्य तक आरंभिक भंडारण क्षमता के करीब एक-चौथाई (23 फीसद) की क्षति का अनुमान है। इस क्षेत्र में दुनिया की 60 फीसद आबादी रहती है और टिकाऊ जल एवं खाद्य सुरक्षा के लिए जल भंडारण अत्यावश्यक है।