शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक में बुधवार को भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस और छह अन्य सदस्य देशों ने भाग लिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बैठक के लिए इस्लामाबाद गए। यह पिछले करीब नौ साल में पहली बार भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा की है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध कश्मीर मुद्दे पर और पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं।
एससीओ के सदस्य देश भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस हैं। आइये 5 पॉइंट्स में जानते हैं SCO समिट की बड़ी बातें।
1) जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मुहम्मद इशाक डार ने 24 घंटे से भी कम समय में दो बार बातचीत की और ऐसे संकेत मिले कि इन वार्ताओं में दोनों देशों के बीच किसी तरह के क्रिकेट संबंधों को फिर से शुरू करने पर चर्चा की गई। हालांकि, सूत्रों ने रेखांकित किया कि ये बातचीत प्रारंभिक है और इस दिशा में पहला कदम अगले फरवरी में पाकिस्तान द्वारा आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी हो सकती है।
2) विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान को SCO समिट से कड़ा संदेश दिया। पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए जयशंकर ने कहा, “अगर सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी रहती हैं तो इससे व्यापार, संपर्क और लोगों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है।”
3) चीन और उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के संदर्भ में एस जयशंकर ने कहा, “सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए। इसे वास्तविक भागीदारी पर बनाया जाना चाहिए न कि एकतरफा एजेंडे पर।”
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4) शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद को खत्म करने की प्राथमिकता पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को खत्म करने की प्राथमिकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ चार्टर में इसके मुख्य लक्ष्यों और कार्यों में सदस्य राज्यों के बीच आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी संबंधों को मजबूत करना और साथ ही आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना शामिल है।
5) जयशंकर ने कहा कि जब तक आतंकवाद और उग्रवाद जैसी गतिविधियां जारी रहेंगी तब तक व्यापार और ऊर्जा प्रवाह में बाधा उत्पन्न होगी। उन्होंने पाकिस्तान और चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि सीमा पार से होने वाली गतिविधियों को रोके बिना क्षेत्र में शांति और विकास संभव नहीं है। विदेश मंत्री जयशंकर ने एससीओ में वास्तविक साझेदारी के निर्माण की बात कही। उन्होंने कहा कि आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित सहयोग ही आगे बढ़ सकता है।