देश के 258 वैज्ञानिक साइंस एंड टेक्नलॉजी मिनिस्ट्री की तरफ से देशी गायों पर रिसर्च के लिए प्रस्ताव मंगाए जाने के विरोध में खड़े हो गए हैं। वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन पिटीशन दायर कर मांग कि है कि सरकार इस प्रस्ताव को वापस ले। साइंस एंड टेक्नलॉजी मिनिस्ट्री के अंतगर्त आने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने दवाइयों, टूथपेस्ट और शैंपू में उपयोग के लिए गाय के गोबर, मूत्र और दूध पर रिसर्च के लिए ये प्रस्ताव मांगे हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 मार्च 2020 है। वैज्ञानिकों और गैर-सरकारी संगठनों के अनुसंधान से आवेदन मांगे गए हैं।
19 फरवरी को एक ऑनलाइन पिटीशन में वैज्ञानिकों ने इस कवायद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। द वायर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 20 फरवरी सुबह 11 बजे तक 258 वैज्ञानिकों ने इसपर हस्ताक्षर कर दिए थे। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने सवाल उठाया है कि ये गायों और उनके गोबर, मूत्र और दूध पर रिसर्च कर सरकार सच में कुछ नया ढुंढने का प्रयास कर रही है या फिर यह किसी एजेंडे के तहत किया जा रहा है।
इन वैज्ञानिकों ने अपील की है कि सरकार अपने इस फैसले को वापस ले क्योंकि इसका को वैज्ञानिक आधार नहीं है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि सरकार को ऐसी रिसर्च पर पैसा खर्च नहीं करना चाहिए जिसका वैज्ञानिक आधार नहीं जबकि सरकार ने कई मौकों पर कहा है कि वह अधिक वैध विषयों पर रिसर्च करने के लिए प्रतबिद्ध है।
वहीं इससे पहले बीते साल ऐसी खबरें भी सामने आई थीं जिसमें कहा गया था कि सरकार उन स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है, जो गाय के गोबर और मूत्र आदि के व्यावसायीकरण पर काम कर रही हों। ऐसी कंपनियों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए जरूरी निवेश में 60 फीसदी तक मदद सरकार की ओर से मिल सकती है।