शराब की दुकान पर साफ तौर पर लिखा होता है ‘18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को शराब नहीं दी जाएगी’, लेकिन दुकानदार शराब खरीद रहे शख्स की उम्र जांचते हैं? ज़्यादा संभावना यही है कि वह ऐसा नहीं करते हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि शराब की दुकानों पर उम्र जांच के लिए एक प्रभावी प्रोटोकॉल और मजबूत तंत्र बनाने की जरूरत है। अब अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। यह याचिका जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।
याचिका में क्या है?
सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों की आबकारी नीति में उम्र से संबंधी कानून हैं, जो एक तयशुदा उम्र की बात करते हैं और उस उम्र से कम के लोगों के शराब पीने\खरीदने को अवैध बताते हैं। लेकिन शराब की बिक्री और शराब के अड्डों पर खरीदारों की उम्र की जांच करने के लिए कोई सख्त तंत्र नहीं है। याचिका में शराब की डोरस्टेप डिलीवरी का भी विरोध किया गया है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इससे कम उम्र के लोगों में शराब पीने की आदत बनने की गति बढ़ेगी।
क्यों दर्ज की गई है याचिका?
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अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निर्धारित शराब पीने की कानूनी आयु 18 से 25 वर्ष है। याचिकाकर्ता एनजीओ ‘कम्यूनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ के वकील ने दलील दी कि शराब की दुकानों, बार, पब आदि में उपभोक्ताओं या खरीदारों की उम्र की जांच करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक मजबूत नीति शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या को कम करने और रोकने में मदद करेगी और साथ ही कम उम्र में शराब पीने पर भी अंकुश लगाएगी।
याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया है कि नाबालिगों को शराब बेचने, परोसने या उपलब्ध कराने वाले किसी भी व्यक्ति पर 50,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों सजाएं होनी चाहिए।
याचिका में केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है। अधिवक्ता विपिन नायर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “अगर शराब की डोरस्टेप डिलीवरी की अनुमति दी जाती है तो इससे युवाओं के लिए शराब तक पहुंच आसान हो जाएगी और कम उम्र के लोगों में शराब पीने की आदत बनने में तेजी आएगी।”
बेंच ने कहा कि वह याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगेगी। पीठ ने कहा कि शराब परोसने वाली सभी दुकानों को निर्देश दिया जाए कि वे उन लोगों का सत्यापन, जांच और रिकॉर्ड बनाए रखें जिन्हें शराब परोसी गई थी।