नई दिल्ली। जेल में बंद अन्ना्रदमुक प्रमुख जे जयललिता को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज उन्हें आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जमानत प्रदान कर दी। इस मामले में जयललिता को बेंगलूर की एक अदालत ने चार वर्ष कारावास की सजा सुनाई है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एल दत्तू के नेतृत्व वाली पीठ ने सजा पर रोक लगायी, साथ ही जयललिता को चेताया कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थगन मांग कर इस मामले को खींचने की कोशिश नहीं करें ।
पीठ ने जयललिता को दो महीने में उच्च न्यायालय में अपनी अपील के सभी तथ्य एवं बहस से जुड़ी सामग्री (पेपरबुक) पेश करने का निर्देश भी दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘ अगर पेपरबुक दो महीने के भीतर पेश नहीं किया जाता है तब हम आपको एक दिन भी ज्यादा नहीं देंगे।’’

शीर्ष अदालत ने जमानत याचिका का निपटारा करने से इंकार करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय कर दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जयललिता उसके आदेश का पालन करें।

पीठ ने यह भी कहा कि वह उच्च न्यायालय से उनकी अपील का निपटारा तीन महीने के भीतर करने को कहेंगे।

इस मामले की एक घंटे तक चली सुनवाई में शुरू में शीर्ष अदालत की पीठ ने जयललिता को जमानत देने पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि उन्होंने मामले की सुनवाई में कई वर्ष की देरी कर दी और अगर उन्हें जमानत पर बाहर आने की अनुमति दी जाती है तब अपील पर फैसले में दो दशक लग जायेंगे।

जयललिता की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने शीर्ष अदालत को अश्वस्त किया कि मामले में देरी नहीं की जायेगी। वह शपथपत्र देने को तैयार है कि उच्च न्यायालय में उनकी ओर से कोई स्थगन नहीं मांगा जायेगा।

नरीमन ने पीठ से कहा, ‘‘ मैं दायित्व लेता हूं कि उच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई के दौरान कोई देरी नहीं की जायेगी। यह कोई खेल नहीं है। पहले यह खेल जरूर रहा होगा। आप मेरा बयान दर्ज कर सकते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने जयललिता की करीबी शशिकला और उनके रिश्तेदार वी एन सुधाकरण, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र और इलावरासी को भी जमानत दे दी।

उच्चतम न्यायालय में जमानत देने की वकालत करते हुए जयललिता ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय में उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं होता है तब तक दो..तीन महीने के लिए वह घर में कैद रहने को तैयार हैं।