सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भारत लाने के बारे मे ब्रिटेन में प्रत्यर्पण को लेकर लंबित कार्यवाही की स्थिति रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश केन्द्र को दिया। जस्टिस उदय यू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की।

पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस मामले में छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। पीठ ने इस मामले को अब अगले साल जनवरी में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है। पीठ ने विजय माल्या का न्यायालय में अभी तक प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट ई सी अग्रवाल को इस मामले से मुक्त करने का अनुरोध ठुकरा दिया है। केन्द्र ने 5 अक्टूबर को न्यायालय को इस संबंध में गोपनीय कानूनी प्रक्रिया के बारे में बताया था।

इसमें कहा गया था कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या का उस समय तक भारत प्रत्यर्पण नहीं हो सकता जब तक ब्रिटेन में चल रही एक अलग ‘गोपनीय’ कानूनी प्रक्रिया का समाधान नहीं हो जाता। केन्द्र ने कहा था कि उसे ब्रिटेन में विजय माल्या के खिलाफ चल रही इस गोपनीय कार्यवाही की जानकारी नहीं है।

सरकार का कहना था, ‘‘ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही को बरकरार रखा है लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है।’’ शीर्ष अदालत ने इससे पहले माल्या की 2017 की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुये उसे पांच अक्टूबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था।

न्यायालय ने विजय माल्या को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करके अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डालर हस्तांतरित करने के मामले में 2017 में उसे अवमानना का दोषी ठहराया था। इससे पहले खबर आई थी कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या का जल्द ही किसी भी दिन भारत प्रत्यर्पण हो सकता है।

खबर में बताया गया था कि भारत में कई दिग्गज बैंकों के 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज को न अदा करने वाले और देश छोड़कर भागे माल्या के प्रत्यर्पण की सभी कानूनी प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं।  एक सरकारी सूत्र के हवाले से कहा गया था कि जल्दी ही किसी भी दिन विजय माल्या को भारत लाया जा सकता है। विजय माल्य की भारत प्रत्यर्पण किए जाने की अपील को ब्रिटेन की अदालत ने 14 मई को खारिज कर दिया था।