Sarla Thukral Google Doodle: गूगल ने रविवार 8 अगस्त को अपना डूडल सरला ठकराल को समर्पित किया है। सरला ठकराल भारत की पहली महिला थीं जिन्होंने विमान उड़ाया था। आज उनकी 107वीं जयंती मनाई जा रही है। इतिहास में उन्हें सुपर वुमेन के तौर पर याद किया जाता है। आजादी से पहले जब महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना भी चुनौतियों से भरा होता था तो सरला ठकराल ने आसमान में इतिहास रच दिया था। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में।
सरला ठकराल का जन्म 8 अगस्त 1921 में दिल्ली में हुआ था। बंटवारे के बाद सरला परिवार के साथ लाहौर चली गईं थीं। सरला बचपन से कुछ बड़ा करने का सपना देखती थीं। वह सिर्फ पायलट नहीं थीं, बल्कि एक सफल उद्यमी और एक डिजाइनर भी थीं। पायलट बनने की प्रेरणा उन्हें अपने पति से मिली थी। एक इंटरव्यू में सरला ठकराल ने बताया था कि वह बचपन से ही चिड़िया की तरह उड़ना चाहती थी। जब जहाज को देखा तो सोचा कि इसे कभी उड़ाएंगे लेकिन इससे पहले की सपनों का जिक्र किसी से करतीं, 16 साल की उम्र में शादी हो गई।
सरला ठकराल का ससुराल मॉर्डन ख्यालात वाला था। पति और ससुर दोनों ही पायलट थे। जब उन्होंने अपने परिवार के सामने जहाज उड़ाने की ख्वाहिश का इजहार किया तो उनका दाखिला दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में करवाया गया। यहां उन्होंने करीब एक हजार घंटे उड़ने का अनुभव लिया।
इसके बाद 1936 में सरला ठकराल ने साड़ी पहन कर पहली बार दो पंखों वाले प्लेन को उड़ाया था। उस वक्त ठकराल की उम्र मात्र 21 साल थी। सरला ठकराल ने जब पहली बार उड़ान भरी तो अगले दिन अखबारों की सुर्खियों में उन्हें जगह दी गई। अखबारों ने लिखा आसमान अब सिर्फ पुरुषों का नहीं रहा।
सरला ठकराल को एक हजार घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद A लाइसेंस मिला, इस तरह वह पहली इंडियन लेडी पायलेट भी बनीं। उन्होंने तीन सालों तक कराची से लाहौर के बीच कई बार उड़ान भरी।
साल 1939 में ठकराल ने प्लेन उड़ाना छोड़ दिया। उनके पति की मौत एक प्लेन हादसे में ही हो गई थी। उस वक्त दूसरे विश्वयुद्ध के चलते फ्लाइट का संचालन भी बंद हो गया था। पति की मौत के बाद वह अपने बच्चों के साथ दिल्ली वापस आ गईं।
सरला ठकराल ने जहाज जरूर उड़ाना जरूर छोड़ दिया था लेकिन उनके हौसलों ने उड़ान भरना नहीं त्यागा था। दिल्ली आने के बाद उन्होंने डिजाइनिंग सीखी और इस क्षेत्र में सफलताएं अर्जित करते हुए एक सफल बिजनेस वुमेन बन गईं।
