लेखक संजय बारू ने मंगलवार (27 सितंबर) को कांग्रेस पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर निशाना साधा। संजय बारू ने राजीव गांधी के राजकोषीय प्रबंधन पर सवाल उठाए। संजय बारू ने कहा, ‘राजीव गांधी के राजकोषीय प्रबंधन की नीति की काफी अर्थशास्त्रियों ने आलोचना की थी। बहुत से जानकारों ने कहा था कि 1991 में आए संकट की मुख्य दो वजह थीं। पहली राजीव गांधी द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियां। जिन्हें उन्होंने विदेश से ग्रहण किया था। उससे भारत को काफी नुकसान हुआ। उससे काफी राजकोषीय घाटा भी हुआ। दूसरी वजह राजीव गांधी द्वारा चंद्रशेखर (पूर्व पीएम) से समर्थन वापस लेना रही। जबकि उन्होंने वादा किया था कि वह समर्थन वापस नहीं लेंगे। राजीव ने वादे के बावजूद बजट पेश होने से एक हफ्ते पहले ही सपोर्ट वापस ले लिया। तब चंद्रशेखर बजट पेश नहीं कर पाए जिससे देश पर संकट आया।’

इसके साथ ही संजय बारू ने नरसिंम्हा राव का भी जिक्र किया। संजय ने कहा कि कांग्रेस ने राव के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया था। संजय ने कहा, ‘नरसिम्हा राव की मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को पार्टी हेडक्वाटर नहीं लाने दिया गया था। दिल्ली में उनके अंतिम संस्कार की भी इजाजत नहीं दी थी।’

वहीं अटल बिहारी और नरसिम्हा राव की तारीफ करते हुए बारू बोले, ‘नरसिम्हा राव ने काफी आर्थिक परिवर्तन किए। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी का सपोर्ट मिला था।’

संजय बारू पहली बार चर्चा में नहीं आए हैं। इससे पहले 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के वक्त उनकी एक किताब ने तहलका मचा दिया था। वह किताब उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर थी। उस किताब का नाम ‘दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर: मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ था। संजय बारू मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में उनके मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। इसलिए उनपर आरोप लगे कि चुनाव के ठीक पहले किताब को सामने लाकर वह कांग्रेस को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।