संघ परिवार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों से जुड़ी एक किताब पर नाराजगी जाहिर की है और इसे प्रतिबंधित करने की मांग की है। किताब मार्च 2019 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी की थी और इसे संस्कृति मंत्रालय व इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है। दरअसल सोशल मीडिया में Dictionary of Martyrs of India’s Freedom Struggle (1857-1947) किताब के कुछ अंश वायरल हुए जिसमें ब्रिटिश शासन के खिलाफ उस विद्रोह को भी शामिल किया गया जिसे दक्षिणपंथी ‘हिंदू विरोधी’ बताते हैं।
पुस्तक के अंश वायरल होने और पीएम मोदी द्वारा इसे जारी करने की वजह से संघ को सोशल मीडिया में खासी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों से जुड़ी इस किताब में साल 1921 में मोपला विद्रोह के वरियामकुननाथ कुंजअहमद हाजी के चित्रण को लेकर संघ नाराज है। ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ उत्तर केरल में हुए इस विद्रोह को ‘मालाबार विद्रोह’ के नाम से भी जाना जाता है।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने अपनी एक खबर में लिखा है कि मालाबार विद्रोह ब्रिटिश और सामंती व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह के रूप में शुरू हुआ। मगर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस महत्वपूर्ण घटना का इतिहास हिंदू जमींदारों की हत्या के चलते विवादित हो जाता है। बताया जाता है इन्हें औपनिवेशिक ताकतों से सहायता प्राप्त थी जिनकी किसानों ने हत्या कर दी। इस विद्रोह में अहम भूमिका निभाने वाले कुंजाहम्मद हाजी को आमतौर पर एक देशभक्त माना जाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ तब तक लड़ाई लड़की जब तक उन्हें गोली नहीं मार दी गई। हालांकि ये भी माना जाता है कि उन्होंने हिंदू जमींदारों को मार डाला।
इस पर इतिहासकार केएन पाणिकर कहते हैं कि मालाबार में खेतों के मालिक उच्च वर्ग के हिंदू और इन खेतों में मुस्लिम व निम्नवर्गीय हिंदू बंटाईदारों-मजदूरों के रूप में काम करते थे। अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ मजदूरों और बंटाईदारों ने हिंसक विद्रोह कर दिया, जिसका नेतृत्व कुंजअहमद हाजी कर रहे थे। विद्रोह को कुचलने के लिए अंग्रेजों ने जब कार्रवाई की थी भूस्वामी अंग्रेजों के साथ हो गए जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू मारे गए।
पुस्तक के अंश वायरल होने के बाद हिंदू संगठन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर किताब की ब्रिकी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। हिंदू एक्यावेदी अध्यक्ष केपी शशिकला ने द टेलीग्राफ को बताया कि हमने सरकार से पुस्तक की ब्रिकी रोकने के लिए कहा है कि क्योंकि इसमें हाजी के बारे में सकारात्मक संदर्भ है।