कविता जोशी
विश्व के करीब 80 फीसद बाघों की निवास स्थली कहे जाने वाले भारत में क्या कभी किसी ने सोचा होगा कि उसके बाघ अभयारण्य धीरे-धीरे बाघ विहीन होने लगेंगे और वहां एक भी बाघ नहीं बचेगा, लेकिन यह सच है और इस सिलसिले की शुरुआत भी हो चुकी है। इसकी स्वीकारोक्ति अपने विस्तृत आंकड़ों के जरिए खुद केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हालिया संपन्न हुए शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में की है।
दर्जनभर बाघ अभयारण्य में हालात बेहद चिंताजनक
मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से वर्तमान में देश में कुल 12 बाघ अभयारण्य ऐसे हैं जो बाघों की विलुप्ति को लेकर आपातकालीन खतरे का अलार्म बजा रहे हैं। इनमें से पांच ऐसे हैं जहां अब एक भी बाघ नहीं बचा है। वहीं, सात ऐसे हैं जहां प्रत्येक में केवल एक ही बाघ शेष बचा है। पूरी तरह से बाघ विहीन हो चुके बाघ अभयारण्यों में महाराष्ट्र स्थित सह्याद्री बाघ अभ्यारण्य, ओडीशा स्थित सतकोसिया बाघ अभयारण्य, मिजोरम स्थित डंपा बाघ अभयारण्य, तेलंगाना स्थित कवल बाघ अभयारण्य और अरुणाचल प्रदेश स्थित कमलांग बाघ अभयारण्य शामिल हैं।
इसके अलावा केवल एक बाघ वाले बाघ अभयारण्यों में पश्चिम बंगाल का बुक्सा बाघ अभयारण्य, अरुणाचल प्रदेश स्थित नमदाफा बाघ अभयारण्य, राजस्थान का मुकंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी बाघ अभयारण्य, झारखंड स्थित पलामू बाघ अभयारण्य और छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी और इंद्रावती जैसे दो बाघ अभयारण्य शामिल हैं।
पांच सालों में मारे गए 619 बाघ
वहीं, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के हिसाब से बीते पांच वर्षों में भारत में कुल करीब 619 बाघ मारे जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा यानी 168 इस वर्ष 2023 में मारे गए। अभी मौजूदा साल का करीब एक सप्ताह शेष बचा है। ऐसे में इस आंकड़े में और इजाफा संभव है। जबकि पिछले साल 2022 में देश में 121 बाघ मारे गए, 2021 में भारत में मरने वाले बाघों की संख्या 128 रही, वर्ष 2020 में 106 और 2019 में 96 बाघों की मौत हुई।
तस्करी और प्राकृतिक मौतों का आंकड़ा
वर्ष 2020 से लेकर 2022 (मृत्युवार क्रमश: में आंकड़ा 106, 128, 121) तक देश में 355 बाघों की मौत हुई है। इनमें आधे से अधिक यानी लगभग 62 फीसद से अधिक बाघ तस्करी के कारण मारे जा चुके हैं। जबकि 53.03 फीसद बाघों की मौत का कारण अप्राकृतिक (तस्करी नहीं) है। इसके अलावा इन तीन वर्षों में करीब 151.86 फीसद बाघ प्राकृतिक कारणों से मरे हैं।
देश में 54 बाघ अभयारण्य
मालूम है कि भारत में बाघों की घटती आबादी को देखते हुए केंद्र सरकार ने बाघों की आबादी और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी। वर्तमान में देश में कुल 54 बाघ अभयारण्य हैं, जो 75 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करते हैं। यह अभयारण्य 18 राज्यों में फैले हुए हैं। वहीं, देश में पर्यावरण मंत्रालय के तहत बाघ अभयारण्यों का प्रबंधन एनटीसीए द्वारा किया जाता है। अभयारण्य बनाने के पीछे प्राथमिक उद्देश्य बाघों की आबादी और उनके आवास की रक्षा करना है।