2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी कुनबे में हलचल तेज है। इंडिया गठबंधन द्वारा तीन बैठकें की जा चुकी हैं, कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी भी है। इसमें महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है। लेकिन इस बीच एक अलग ही मुद्दे ने इंडिया गठबंधन को मुश्किल में डाल दिया है। असल में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर एक विवादित बयान दिया है।

सनातन विवाद और बीजेपी का हिंदुत्व

उनकी तरफ से कहा गया है कि सनातन धर्म मलेरिया और डेंगू की तरह है, इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए, न कि इसका विरोध किया जाना चाहिए। अब इस बयान के बाद से देश की सियासत में भूचाल आ गया है। बड़ी बात ये भी है कि उदयनिधि अपने इस बयान पर अभी तक कायम हैं, उनकी तरफ से कोई माफी नहीं मांगी गई है। अब चुनावी मौसम में जिस तरह से सनातक को निशाना बनाया गया है, बीजेपी इस मुद्दे को पूरी तरह भुनाने को तैयार बैठी है। हिंदुत्व की पिच पर इंडिया गठबंधन को घेरने की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है।

तुष्टीकरण की राजनीति और बीजेपी का दांव

गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान की धरती से काफी आक्रमक अंदाज में इस मुद्दे को उठाया है। उनकी तरफ से कहा गया है कि तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए डीएमके और कांग्रेस द्वारा सनातन का अपमान किया जा रहा है। वे चाहते हैं कि सनातन को समाप्त कर दिया जाए। अमित शाह ने तो यहां तक कह दिया कि इससे पहले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी बोला था कि अल्पसंख्यकों का देश के बजट पर पहला हक है।

अब अमित शाह ने अगर राजस्थान की धरती से इस मुद्दे पर विपक्ष को घेरा है तो बीजेपी ने भी राष्ट्रीय स्तर पर माहौल बनाना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दो टूक कहा है कि इंडिया गठबंधन का एजेंडा साफ है, इन्हें हिंदू धर्म का समूल नाश करना है। अब इस पूरे विवाद में बीजेपी दो शब्दों पर सारा फोकस जमा रही है- तुष्टीकरण और हिंदू। तुष्टीकरण के जरिए विपक्ष पर भेदभाव करने का आरोप लगाया जा रहा है तो वहीं हिंदुओं का जिक्र कर उनका एकमुश्त वोट अपने पाले में करने की कोशिश है।

बीजेपी की हिंदुत्व लाइन कितनी तगड़ी?

यहां ये समझना जरूरी है कि हिंदुत्व की पिच पर बीजेपी हमेशा से ही खेलते आ रही है। उसका अंदाज तो काफी आक्रमक माना जाता है, वो हार्ड हिंदुत्व को फॉलो करती है जहां पर सिर्फ प्रतीकों पर फोकस नहीं होता, बल्कि हर मुद्दे खुलकर राय रखी जाती है। राम मंदिर को लेकर बीजेपी ने जिस तरह से कई दशकों तक अपनी राजनीति चलाई, वो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अब तो जब 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन की बात हो रही है, बीजेपी के लिए इस पिच पर खेलना और ज्यादा आसान हो जाएगा। इसके ऊपर काशी में ज्ञानवापी के मुद्दे को जिस तरह से सीएम योगी ने धार देने का काम किया है, पार्टी की लाइन साफ पता चल रही है।

उसी कड़ी में अब जब ये सनातन विवाद भी बीजेपी की हिंदुत्व वाली रणनीति के साथ जुड़ जाएगा, इस पिच पर तो विपक्ष की चुनौतियां काफी बढ़ जाएंगी। कहने को कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए हिंदुओं को भी लुभाने में लगी हुई है, मध्य प्रदेश में तो कमलनाथ लगातार ही भगवानों की कथा करवा बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के बयान उन तमाम प्रयासों पर पानी फेर सकते हैं।

इंडिया गठबंधन को इस विवाद से क्या नुकसान?

यूपी जैसे बड़े राज्य में तो इंडिया गठबंधन को ऐसे बयानों का और ज्यादा नुकसान हो सकता है। कहने को बयान दक्षिण भारत के एक नेता द्वारा दिया गया है, लेकिन बीजेपी ये नेरेटिव सेट करने में देरी नहीं लगाएगी कि ये विपक्षी गठबंधन का स्टैंड है, उस स्थिति में सनातन विवाद गले की फांस बन जाएगा और उसका असर वोटरों पर भी पड़ सकता है। वहां भी हिंदी पट्टी वाले तमाम राज्यों में इस एक बयान से इंडिया गठबंधन को बड़े सियासी झटके के लिए तैयार रहना चाहिए।

कांग्रेस क्यों ज्यादा परेशान, कैसे होगा डैमेज कंट्रोल?

ये नहीं भूलना चाहिए कि पिछले लोकसभा चुनाव में हिंदी पट्टी राज्यों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था। वहां पर कांग्रेस की हालत काफी पतली रही थी। जिस सीट फॉर्मूले पर इस बार भी चर्चा की जा रही है, उसके मुताबिक हिंदी पट्टी वाले कई राज्यों में फिर मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस का रहने वाला है। उस स्थिति में कांग्रेस के लिए इस बयान को डिफेंड करना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। इसी वजह से कांग्रेस लगातार डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है। उसने खुद को उस बयान से ही दूर कर लिया है, इंडिया गठबंधन के दूसरे नेता भी उदयनिधि से ही माफी की मांग कर रहे हैं।

लेकिन ना कोई माफी आई है और ना हा किसी तरह की सफाई पेश करने की जहमत हुई है, ऐसे में ये डैमेज कंट्रोल भी इंडिया गठबंधन को इस विवाद से दूर नहीं कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस समय क्योंकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी हर राज्य में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। उसके लिए विपक्ष को इस समय हिंदू विरोधी बताने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है।