Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। किसान संगठन ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी की मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। इतना ही नहीं एसकेएम ने यह भी कहा कि वह पीएम मोदी और लोकसभा में नेता विपक्ष को एक मेमोरेंडम दिया जाएगा।

बता दें कि कल यानी 10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जिसमें 17 राज्यों के किसान शामिल हुए। इसके एक दिन बाद ही आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया गया है। इस बार संगठन दिल्ली नहीं आएगा। संगठन के नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि 16 से 18 जुलाई तक प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सभी सांसदों को किसानों की मांग का एक ज्ञापन दिया जाएगा।

दिल्ली कूच पर क्या बोले संगठन के नेता

किसान संगठन के नेताओं से जब यह सवाल किया गया कि क्या वह फिर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कूच करेंगे तो उन्होंने कहा कि इस बार पूरा फोकस देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन पर रहेगा। खासतौर पर विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में ज्यादा फोकस होगा। इनमें महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा शामिल है। जनरल बॉडी की मीटिंग में शामिल होने वाले अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मुल्ला ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन करने के लिए हर बार एक ही तरीका अपनाया जाए यही जरूरी नहीं है। हम इस बार पूरे देश में अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

बीजेपी की कम सीटें आने में किसान आंदोलन का हाथ?

एसकेएम नेताओं ने दावा किया कि किसानों के आंदोलन का ही असर है जो भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में अलग-अलग राज्यों के करीब 159 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में हार का मुंह देखना पड़ा है। एसकेएम ने एक बयान में कहा कि आम सभा ने कृषि विभाग के द्वारा साल 2021 में साइन किए गए समझौते को लागू करने और अपनी दूसरी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। एसकेएम के मुल्ला के अलावा अविक साहा, प्रेम चंद गहलावत, पी कृष्णप्रसाद, डॉ सुनीलम, युद्धवीर सिंह और आर वेंकैया जैसे किसान नेताओं ने भी अपने-अपने बयान दिए।

एसकेएम अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन करेगा

संगठन ने यह भी कहा कि आने वाली 9 तारीख को एसकेएम अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन करेगा। वह भारत छोड़ो दिवस को कॉरपोरेट भारत छोड़ो दिवस के तौर पर मनाएंगे। एसकेएम ने यह भी मांग रखी है कि देश को डब्ल्यूटीओ से भी बाहर निकल जाना चाहिए। वहीं, अब बात अगर एसकेएम की पंजाब यूनिट की करें तो वह जल संकट, कर्ज के बोझ, पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए की सत्ता और संसाधनों के केंद्रीयकरण की नीति के खिलाफ सीएम भगवंत मान और उनके मंत्रियों के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे।

यह सब कुछ केवल इतने पर ही नहीं रूकेगा बल्कि सभी राज्यो में जल संकट और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एक सेमिनार भी रखा जाएगा। MSP कानून, कर्ज माफी, फसल की बीमा, किसानों के पेंशन, बिजली के निजीकरण को बंद करने के साथ ही साथ सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग रखी जाएगी।

ग्रामीण बहुल लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की करारी शिकस्त पर एसकेएम ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र की ग्रामीण बहुल सीट पर बीजेपी की हार और यूपी में अजय मिश्रा टेनी और अर्जुन मुंडा की हार का सबसे बड़ा कारण किसान आंदोलन ही था।