Samjhauta Express blast: 2007 के समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में एक पीड़ित की बेटी ने विशेष एनआईए अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया था जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तानी गवाहों को उचित समन नहीं दिया गया था। अपने आवेदन में उसने दावा किया कि सभी पाकिस्तानी गवाह सबूत के लिए अदालत में पेश होने के लिए तैयार हैं। अदालत ने इस संबंध में एनआईए को नोटिस देकर जवाब मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 14 मार्च को होगी।
अदालत ने एनआईए और आरोपियों को 14 मार्च के लिए नोटिस जारी किया, जिसमें पानीपत के अधिवक्ता मोमिन मलिक के माध्यम से पाकिस्तान के हफीजाबाद निवासी राहिला वकिल, पीड़ित मुहम्मद वेकिल की बेटी के आवेदन पर जवाब मांगे गए हैं। वकील एससी शर्मा ने बताया कि पाकिस्तानी नागरिक राहिला वकील ने एक याचिका दायर कर कुछ और चश्मदीदों के बयान रिकॉर्ड करने की अपील की। इस पर अदालत ने कहा कि चश्मदीदों को 6 बार समन भेजा गया, लेकिन वह नहीं आए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहिला के वकील ने बताया कि जिन पाक नागरिकों के बयान दर्ज कराने की हम अपील कर रहे हैं, वह आना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें कोई समन नहीं मिला। इस मामले में चश्मदीद पाकिस्तानी गवाहों को कोई वीजा नहीं दिया गया था और उन्हें मामले के चल रहे चरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि उन्हें कोई उचित समन नहीं दिया गया था।
मामले में 13 पाकिस्तानी गवाह हैं। मामले में एनआईए के अधिकारियों और वकीलों के अनुसार, अदालत ने केंद्र के माध्यम से तीन-चार मौकों पर पाकिस्तानी गवाहों को पहले समन जारी किया था, लेकिन पाकिस्तान से कोई “संतोषजनक प्रतिक्रिया” नहीं मिली, जिसके कारण पिछले महीने अदालत ने सबूतों को बंद कर दिया था। एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ने हर मौके पर समय मांगा। बता दें 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट में 43 पाकिस्तानी नागरिकों, 10 भारतीय नागरिकों और 15 अज्ञात लोगों सहित 68 लोग मारे गए थे। दीवाना और पानीपत के बीच दो अनारक्षित डिब्बों में दो IED विस्फोट हुए थे। मामले में मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंद्र चौधरी है। हालांकि कुल 8 आरोपी थे, जिनमें से 1 की मौत हो चुकी है, जबकि तीन को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।