संभल हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को कोई भी निर्णय न लेने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि शांति व्यवस्था कायम रहनी चाहिए और इलाके में प्रशासन शांति बहाल करें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निचली कोर्ट के आदेश पर कुछ आपत्तियां है। हाईकोर्ट की इजाजत के बिना कोई एक्शन ना हो। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?
सीलबंद लिफाफे में सौंपे सर्वे रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट कमिश्नर को सर्वे की रिपोर्ट सौंपने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक मामला हाई कोर्ट के समक्ष लिस्ट नहीं हो जाता, तब तक कोई भी आगे की कार्यवाही पारित आदेश के अनुसार होगी। कोर्ट ने कहा कि हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है। 6 जनवरी को मामले पर फिर से सुनवाई होगी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर दोनों पक्ष आवेदन दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “शांति और सद्भाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हम इसे लंबित रखेंगे और हम नहीं चाहते कि कुछ भी हो। मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 देखें और देखें कि जिला को मध्यस्थता समितियां बनानी चाहिए। हमें पूरी तरह से तटस्थ रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि कोई अप्रिय घटना न हो।”
चंदौसी सिविल कोर्ट में भी हुई मामले की सुनवाई
इस बीच संभल की जामा मस्जिद से जुड़े मामले में चंदौसी सिविल कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। हालांकि सिविल कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने मीडिया को बताया कि 24 नवंबर को सर्वे के दौरान हुई हिंसा के कारण रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है। वहीं जामा मस्जिद के वकील ने अदालत से इस केस से संबंधित सभी प्रतियां मांगी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब मस्जिद का कोई अन्य सर्वे नहीं होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के प्रवक्ता इलियास ने कहा कि इस तरह के दावे और कानून संविधान का मजाक है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूजा स्थल अधिनियम, 1991 फॉलो करने की बात कह रहा है। पढ़ें संभल हिंसा मामले में योगी सरकार ने किया तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन