Sambhal Survey Report: संभल के जामा मस्जिद का जो सर्वे किया गया था, उसकी एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है। उस रिपोर्ट में कई ऐसे प्रमाण दिए गए हैं जिनके दम पर दावा किया गया है कि किसी जमाने में यहां पर हरिहर मंदिर हुआ करता था। सीलबंद लिफाफे में जो सर्वे रिपोर्ट सौंपी गई है, उसमें कई बातें निकलकर आई हैं।

संभल सर्वे रिपोर्ट में क्या सामने आया?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट में हिंदू धर्म से जुड़े 50 से ज्यादा फूल के निशानों का जिक्र हुआ है। इसके अलावा दो बरगद के पेड़ भी मिले हैं, मस्जिद में कुआं होने की संभावना भी जता दी गई है। अब यह सारे प्रमाण क्योंकि हिंदू धर्म से जुड़े हुए हैं, इसी वजह से कहा गया है कि इस मस्जिद से पहले यहां एक मंदिर हुआ करता था। सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि पुराने ढांचे को बदला गया है। इसके अलावा नए कंस्ट्रक्शन के कुछ सबूत भी मिल गए हैं।

मस्जिद मे जो बड़ा झूमर लगा है, उसे लेकर भी सर्वे रिपोर्ट में दावा हुआ है। तर्क दिया गया है कि असल में जिस जंजीर से वो झूमर लटका हुआ है, मंदिरों में उसी जंजीरों से घंटे को बांधा जाता है।

सियासी रूप से भी महत्वपूर्ण है संभल

धार्मिक महत्व के अलावा के अलावा बीजेपी के लिए संभल और उसके आसपास के इलाकों का सियासी रूप से महत्वपूर्ण भी हैं। यहां साल 2014 के लोकसभा चुनावों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी को कोई खास सफलता नहीं मिली है। यहां से सपा और बसपा को सफलता मिली है। साल 1998 और 1999 में खुद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने यहां से जीत हासिल की थी और साल 2004 में रामगोपाल यादव ने यहां से संसद पहुंचे थे।

सपा के दिग्गज नेता रहे शफीकुर रहमान बर्क ने इस सीट पर 2019 में जीत हासिल की थी, इस साल हुए लोकसभा चुनावों में उनके पोते जिया उर रहमान बर्क यहां के सांसद बने। जिया उर रहमान बर्क पर संभल मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर मामला दर्ज है। उनपर बिजली विभाग ने बिजली चोरी के आरोप में बड़ा जुर्माना भी लगाया है। अब संभल को लेकर ही क्योंकि सारी चर्चा चल रही है, ऐसे में यहां के सियासी मायने समझना जरूरी हो जाता है। सवाल आपका है, जवाब जानने के लिए यहां क्लिक करें