उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों में से मैनपुरी जिले के करहल विधानसभा की लड़ाई समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस सीट से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से खुद अखिलेश यादव विधायक थे लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सपा चीफ ने सीट को छोड़ दिया था।

करहल में पार्टी के एक नेता ने कहा, “सैफई ब्लॉक के कुछ गांव करहल विधानसभा सीट के अंतर्गत आते हैं, जहां यादव मतदाताओं का दबदबा होने के कारण हमें जीत का भरोसा है। हालांकि पार्टी सीट को हल्के में नहीं ले रही है।” करहल में 20 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है।

करहल विधानसभा के 3.7 लाख मतदाताओं में से यादवों की संख्या लगभग 1.4 लाख है जबकि शाक्य लगभग 60,000 हैं। दलितों की संख्या 40,000 और वहीं मुसलमान वोटों की संख्या 15,000 है, जबकि ब्राह्मण और ठाकुरों की संख्या लगभग 25,000 है।

करहल : समाजवादी पार्टी की नाक का सवाल

करहल विधानसभा मैनपुरी लोकसभा सीट के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। यहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। जो सपा की सबसे प्रमुख महिला नेताओं में से एक हैं। वह मैनपुरी में डेरा डाले हुए हैं और तेज प्रताप के लिए जनसभाओं, नुक्कड़ सभाओं और घर-घर जाकर प्रचार कर चुकी हैं। पिछले गुरुवार को उन्होंने बदायूं के सांसद और आदित्य यादव के साथ प्रचार किया था। जो सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बेटे हैं। 27 अक्टूबर को डिंपल ने घिरोर गांव में एक जनसभा में शिवपाल और आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव, जो अखिलेश के चचेरे भाई हैं, के साथ भी मंच साझा किया था।

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शिवपाल ने यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से सटे करहल के साथ कटेहरी और सीसामऊ में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया है। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दावा किया कि अखिलेश रविवार से झारखंड और महाराष्ट्र के साथ-साथ शेष आठ सीटों के लिए भी अपना प्रचार अभियान शुरू करेंगे। करहल सीट पर समाजवादी पार्टी के तमाम बड़े नेताओं का पहुंचना यह दिखाता है कि यह सीट सपा ले लिए क्यों इतनी महत्वपूर्ण है।