केंद्र शराब के नशे में गाड़ी चलाने के मामलों में सजा बढ़ाने के लिए आईपीसी की धारा 304 ए (लापरवाही से मौत को अंजाम देने) और धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाने) में संशोधन करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह जानकारी आज बंबई उच्च न्यायालय को दी गई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आठ अगस्त को केंद्र सरकार के वकील को लिखे पत्र के अनुसार, ‘‘इस संबंध में सरकार की मंजूरी के लिए प्रक्रिया जारी है।’’
यह पत्र न्यायमूर्ति अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा गया। पीठ वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने अपनी याचिका में बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान से 2002 के हिट एंड रन मामले के पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है।
यद्यपि अभिनेता ने उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार पीड़ित परिवारों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि पहले ही जमा कर दी है लेकिन याचिका पर अब भी उच्च न्यायालय विचार कर रहा है। उसने दुर्घटना के मामलों में सजा बढ़ाने की मांग को लेकर अपनी गुंजाइश को बढ़ा दिया है।
अदालत ने इससे पहले केंद्र को आईपीसी की धाराओं में संशोधन करने पर विचार करने का सुझाव दिया था ताकि नशे में वाहन चलाने को अधिक गंभीर अपराध बनाया जा सके। उसने इस तरह के मामलों में सजा को बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन पर विचार करने को कहा था।
केंद्र ने इससे पहले उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि उसने आईपीसी की धारा 279 में संशोधन के लिए राज्य सरकारों से सुझाव मांगे हैं ताकि इस तरह के मामलों में सजा बढ़ाई जा सके।
केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव :गृह: जयप्रकाश अग्रवाल ने अपने हलफनामे में कहा कि विधि आयोग ने शराब के नशे में वाहन चलाने को गंभीर अपराध बनाने के लिए आईपीसी की धाराओं 304 ए और 279 में संशोधन की सिफारिश की थी। वह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और मंत्रिमंडल के समक्ष उसे पेश किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 304 ए के तहत अधिकतम दो साल के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है जबकि आईपीसी की धारा 279 के तहत छह महीने के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।
मामले की अगली सुनवाई की तारीख 19 अक्तूबर को निर्धारित की गई है।
खान के वाहन से 28 सितंबर 2002 को कुचले जाने से उपनगरीय बांद्रा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे। अभिनेता को सत्र अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर की है, जो लंबित है।