शिव की नगरी हरिद्वार तीर्थ आजकल राममय हो रही है। चारों ओर राम ही राम की पावन ध्वनि गूंज रही है। हरिद्वार के गंगा घाट हो या मठ मंदिर या खड़े हो या फिर आश्रम सब जगह राम नाम का उद्घोष सुनाई देता है। अयोध्या में श्री रामलला अपने नए मंदिर में 22 जनवरी को विराजमान होंगे। उसकी खुशी अभी से तीर्थ नगरी हरिद्वार समेत उत्तराखंड में चारों ओर दिखाई दे रही है। साधु संतों के शैव, वैष्णव, उदासीन, निर्मल, गरीब दासी, कबीरपंथी दादू पंथी सभी संप्रदाय राम नाम की डोर में मानो एक साथ पिरो दिए गए हो।
वैसे हिंदू साधु संतों में वैष्णव संप्रदाय के इष्ट देव भगवान श्री हरि विष्णु उनके अवतार भगवान श्री राम और श्री कृष्ण माने जाते हैं जबकि आदि जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित दशनामी संन्यासी परंपरा के साधु संत शैव मत के माने जाते हैं यानी उनके इष्ट देव भगवान शिव है। परंतु राम नाम ने सबको एक कर दिया है।
हरिद्वार तीर्थ नगरी में हर की पैड़ी में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और दशनामी परंपरा के श्री निरंजनी पंचायती अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी महाराज की अध्यक्षता में हुई। इस विशेष समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, श्री गंगा सभा के पदाधिकारी बड़ी तादाद में साधु संतों और राम भक्त जनता ने भाग लिया। हर की पैड़ी पर उत्तराखंड की पवित्र पावन नदियों गंगोत्री, यमुनोत्री और सरयू नदी के जल कलशों का पूजन किया गया। इसी के साथ मुख्यमंत्री और महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कन्या पूजन भी किया।
19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगी जल कलश यात्रा :
महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर पर हर की पैड़ी से शुरू हुई जल कलश यात्रा का पहला चरण श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के चरण पादुका स्थल में समाप्त हुआ, जहां से आज मंगलवार को यह जल कलश यात्रा हरिद्वार के मुख्य मार्गो से होती हुई अयोध्या के लिए रवाना हुई।
दूसरे चरण में यह यात्रा मुरादाबाद में विश्राम करेगी। वहां से 17 जनवरी को चलकर बरेली पहुंचेगी और वहां से 18 जनवरी को तीसरे चरण में शुरू होकर लखनऊ पहुंचेगी। लखनऊ से रवाना होते हुए 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगी। हरिद्वार में इस जल कलश यात्रा का लोगों ने जगह-जगह स्वागत किया और पूरा हरिद्वार का वातावरण राममय हो गया। कलश पूजन के समय हर की पैड़ी में साधु संतों और राम भक्तों पर हेलिकाप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई।
सरयू नदी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से होती हुई अयोध्या जाती है, इसलिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कुमाऊं के बागेश्वर क्षेत्र से सरयू नदी के उद्गम स्थल से यह पवित्र पावन जल विशेष रूप से निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं से मंगवाया। जल कलश यात्रा के शुभ अवसर पर निरंजनी अखाड़ा परिसर में स्थित चरण पादुका स्थल पर भजनों का आयोजन किया गया।
कुछ दिन पूर्व भी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज के सानिध्य में अखाड़े के नागा साधु गंगाजल और उत्तराखंड की कई नदियों का पवित्र जल लेकर हर की पैड़ी हरिद्वार से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे।फोटो कैप्शन- हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गंगा जमुना और सरयू नदी के पावन जल कलशों का पूजन करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने अयोध्या में रामलला मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शंकराचार्य और कांग्रेस नेताओं द्वारा विरोध करने और कार्यक्रम में न जाने के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा, शंकराचार्य पर प्रहार करते हुए कहा कि वे ज्यादा विद्वान हो गए हैं। जब आदमी ज्यादा ज्ञानी हो जाता है तो वह कई कुतर्क देने लगता है। उद्धव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को ज्ञान नहीं भक्ति चाहिए और आज पूरा देश राम की भक्ति में डूबा हुआ है।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार करने के फैसले पर तंज कसते हुए भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान जी की कृपा है कि ऐसे वैसे कुछ लोग इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं।
महंत पुरी ने कहा, 500 साल बाद राम मंदिर अयोध्या में बनने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए सबसे बड़ा ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने लोगों से अपील की कि 22 जनवरी को अपने घरों के आगे दीप जलाएं और भगवान राम का भजन करें, कीर्तन करें, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।