सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सहारा कंपनी से कहा कि वे अपने संपत्‍त‍ि की पूरी जानकारी एक सील्‍ड लिफाफे में 11 मई तक दाखिल करें। सहारा द्वारा अपने निवेशकों का पैसा लौटाने में नाकाम रहने से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान मार्केट रेगुलेटरी बॉडी सेबी ने कोर्ट को बताया कि उसने सहारा की संपत्‍त‍ियां बिकवाने का काम शुरू करवाने में दो एजेंसियों को लगवाया है। सेबी ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस प्रक्रिया को खत्‍म होने में चार महीने लग सकते हैं।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वे रॉय को छोड़ने के लिए राजी हैं, अगर सेबी द्वारा सहारा की 67 संपत्‍त‍ियों को बेचने की योजना कामयाब हो जाती है। कोर्ट का कहना है कि उनका अंतिम लक्ष्‍य पैसा रिकवर करना है, रॉय को जेल में रखना नहीं।

सहारा की ओर से कोर्ट में पेश वकील राजीव धवन ने अदालत से गुहार लगाई कि सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय को या तो हाउस अरेस्‍ट किया जाए या फिर बेल दे दी जाए। बता दें कि सुब्रत रॉय मार्च 2014 से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी के उस वक्‍त आदेश दिए जब वे निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए लौटाने के मामले में अदालत में पेश नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए कम से कम दस हजार करोड़ रुपए जमा करवाने कहा है। इनमें से 50 पर्सेंट कैश में जबकि बाकी की रकम बैंक गारंटी के तौर पर जमा करवाने कहा गया।