भागलपुर सेंट्रल जेल में बंद पूर्व राजद सांसद मोहम्‍मद शहाबुद्दीन ने नीतीश सरकार से जान का खतरा होने का आरोप लगाया है। अपने वकील के जरिए उसने सीवान कोर्ट से कहा है कि उसे कस्‍टडी में ऐसा लगता है जैसे वह ‘राज्‍य सरकार के हाथों में हो।’ सीवान पुलिस के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्‍या में शहाबुद्दीन की मिलीभगत के शक का जिक्र किए बिना वकील ने स्‍पेशल कोर्ट से कहा कि ‘सरकार शहाबुद्दीन को झूठे केस में फंसाने की कोशिश’ कर रही है। शहाबुद्दीन को सीवान जेल में ‘विजिटर्स से मिलने के बहाने दरबार लगाने’ पर भागलपुर जेल ट्रांसफर किया गया था। पत्रकार राजेदव रंजन की हत्‍या की जांच के दौरान ही उसे भागलपुर जेल भेजा गया। शहाबुद्दीन के प्रमुख गुर्गों में से एक लड्डन मियां को रंजन मर्डर केस में मुख्‍य आरोपी बनाया गया है। आधे दर्जन से ज्‍यादा मामलों में दोषी शहाबुद्दीन नवंबर 2005 से जेल में बंद है।

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सोमवार को शहाबुद्दीन के वकील ने सीवान कोर्ट से पूर्व सांसद की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की अपील की। वकील ने कोर्ट से गुजारिश की है कि ”अदालत को फिट नजर आ रहे याचिकाकर्ता की सुरक्षा के लिए आवश्‍यक कदम उठाए जाएं। ताकि राज्‍य सरकार के हाथों कस्‍टडी में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के याचिकाकर्ता की हत्‍या ना हो जाए। ” वकील ने दावा किया कि राज्‍य सरकार ने 2006 में शहाबुद्दीन को मारने की कोशिश की थी। उसने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने प्रतापपुर मामले की जांच के लिए बने वुद्य कमीशन को भंग कर दिया।

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शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में कहा कि उसे एक ‘गहरी साजिश’ के तहत भागलपुर जेल में ट्रांसफर किया गया है। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसे पटना हाईकोर्ट की इजाजत के बिना ही ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि हाईकोर्ट ने कहा था कि सीवान की विशेष अदालत के अंडरट्रायल और कैदियों को शिफ्ट नहीं किया जा सकता।

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सीवान के एसपी सौरव कुमार साह ने शहाबुद्दीन को भागलपुर शिफ्ट किए जाने के पीछे प्रशासनिक कारण बताया। उन्‍होंने कहा कि पिछले साल दिसंबर से उसके खिलाफ कोई लम्बित ट्रायल नहीं था। जेल मैनुअल कहता है कि उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ सेंट्रल जेल में ही रखा जाना चाहिए। शहाबुद्दीन ने 20 मामलों में ट्रायल का सामना किया है और दो मामलों में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।