विधि मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत में समलैंगिक विवाहों को अवैध करार देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का मुद्दा उनके मंत्रालय के समक्ष लंबित नहीं है। उनका यह बयान अमेरिका के शीर्ष न्यायालय द्वारा अपने देश में समलैंगिक विवाह को वैध ठहराने के बाद आया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर एक अखबार ने उन्हें गलत उद्धृत किया। उन्होंने कहा, ‘‘संवाददाता ने सहमति जताई कि इस मुद्दे पर मुझे गलत उद्धृत किया गया।’’

गौड़ा ने कथित तौर पर समाचार पत्र से कहा कि भारत आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर सकता है और समलैंगिक विवाहों को वैध बनाने पर विचार किया जा सकता है। आईपीसी की धारा 377 समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखती है।

अपने कथित बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अब तक इस तरह का कोई मुद्दा विधि मंत्रालय के समक्ष नहीं लाया गया है। उन्होंने यहां कहा, ‘‘जब भी मुद्दा आएगा तब हम सिर्फ चर्चा के बाद आगे जा सकते हैं, यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है। इसे इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता है। इस तरह के मुद्दे को अब तक विधि एवं न्याय मंत्रालय के समक्ष नहीं लाया गया है।’’

दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया था जिसमें दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालय ने अपने प्राधिकार का उल्लंघन किया और 1860 का कानून अब भी वैध है।

पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने फैसले को चुनौती देने की योजना बनाई थी और इस फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश भी लाने पर विचार किया था लेकिन वह इसपर आगे नहीं बढ़ सकी थी।