कांग्रेस नेता सचिन पायलट लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार होंगे या नहीं इस सवाल पर सभी की नज़रें हैं। जिसका जवाब अब खुद पायलट ने दिया है। इंडियन एक्सप्रेस के Idea Exchange कार्यक्रम में कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने राम मंदिर, इंडिया गठबंधन, युवाओं चहरों के कांग्रेस को छोड़कर जाने, राजस्थान में कांग्रेस की हार, EVM जैसे और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की है।
कहां से चुनाव लड़ेंगे सचिन पायलट?
सवाल : बीजेपी ने पिछले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए अपने कुछ लोकसभा सांसदों को मैदान में उतारा था. क्या आप लोकसभा चुनाव लड़ेंगे?
इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने स्पष्ट तौर पर यह तो नहीं बताया कि वह किस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं लेकिन उन्होंने कहा बीजेपी ने जिस पैटर्न के तहत सांसदों को मैदान में उतारा था, उन सांसदों की स्थिति देखने लायक थी, कोई भी चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। हमारे यहां (कांग्रेस में) ऐसा नहीं है, हमारी पार्टी में हम चर्चा करते हैं, बहस करते हैं और निर्णय लेते हैं।”
पायलट ने आगे कहा, “मुझे विधानसभा में लड़ने के लिए कहा गया था, मैंने वह किया। मुझे छत्तीसगढ़ का प्रभार सौंपा गया, मैं वहां काम कर रहा हूं। नये लोगों को मौका मिलना ही चाहिए। विधानसभा में जिन नये लोगों को मौका दिया गया है, उनमें से ज़्यादातर जीत गये हैं। जब 25-30 साल के युवा को मौका मिलता है तो वह जीवंत हो उठता है। मुझे उम्मीद है कि लोकसभा में पार्टी अच्छे, नये, शिक्षित, प्रेरित युवाओं को मौका देगी।” सचिन पायलट ने इस दौरान राजस्थान में कांग्रेस की हार की वजह के सवाल पर भी जवाब दिया।
सवाल: राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ क्या गया? क्या आपको लगता है कि आपने सरकार के खिलाफ जो रुख अपनाया था, उससे पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा है?
इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा,”मैंने जनता के मुद्दों को उठाया। मुझे लगा कि लोगों के लिए और पार्टी के लिए यही महत्वपूर्ण है। मुझे लगा कि युव सिस्टम से निराश हैं, तो मैंने उन बिंदुओं को उठाया ताकि हम सही समय पर सुधार कर सकें।”
पायलट ने आगे कहा, “आप यह मत भूलिए कि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। संख्या के लिहाज से इस बार हमें लगभग 70 सीटें मिलीं। मेरा स्टैंड सही था या गलत ये आपको आंकड़े बता देंगे। उससे पहले के चुनाव में 21 सीटें थीं. मैं उस समय कोई स्टैंड नहीं ले रहा था. और फिर उससे पहले हमें 50-52 सीटें मिलीं। हालांकि इस बार हमें उम्मीद थी कि हम उस प्रवृत्ति को तोड़ देंगे जहां हर बार सरकार बदलती है लेकिन ऐसा नहीं हो सका।”