Sabarimala Temple Opening Updates: केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर का कपाट खुल गया है। इसे 17 अक्टूबर को शाम 5 बजे खोला गया। श्रद्धालु बुधवार को रात 10:30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, पोर्टल 22 अक्टूबर तक खुला रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, पहली बार सभी उम्र की महिलाओं का प्रवेश मंदिर में होगा। केरल में इसे लेकर तनाव चरम पर है और कई समूहों ने ‘सामूहिक आत्मदाह’ और तोड़फोड़ की धमकी दी है। फैसले का विरोध कर रहे लोग मंदिर की ओर बढ़ रहे श्रद्धालुओं की गाड़ियां जांच रहे हैं। सबरीमला मंदिर की तलहटी में स्थित पंबा शहर में पुलिस ने प्रदर्शनरत महिलाओं के एक समूह को हिरासत में लिया है। सबरीमला से 20 किलोमीटर दूर, मंदिर के मुख्य प्रवेश, निलक्कल में महिलाओं को जबरन रोका जा रहा है। यहां भारी संख्या में तैनात पुलिसर्किमयों ने महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समूह ‘सबरीमला आचार संरक्षण समिति’ के तंबू आदि भी हटा दिए हैं। प्रदर्शनकारियों के उग्र रवैये को देखते हुए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा।
आंध्र प्रदेश की एक महिला व उसके परिवार को भगवान अयप्पा मंदिर की यात्रा बीच में छोड़कर वापस जाने को मजबूर होना पड़ा। प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण आंध्र प्रदेश की एक 40 वर्षीय महिला माधवी व उसके परिवार को मजबूरन भगवान अयप्पा के दर्शन किए बिना लौटना पड़ा। माधवी ने माता-पिता व बच्चों के साथ अपनी यात्रा स्वामी अयप्पा मंदिर को मासिक पूजा अनुष्ठान के लिए खोले जाने से कुछ घंटे पहले शुरू की थी। कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच दस मिनट की यात्रा के बाद जब परिवार मंदिर परिसर के अंदर पहुंचा तो माधवी सहित पूरे परिवार की यात्रा में बाधाओं डाली गईं और उन्हें भगवान अयप्पा के दर्शन की अपनी योजना रद्द करनी पड़ी।
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सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर केरल में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। हिंसक भीड़ ने पत्रकारों पर भी हमला बोल दिया। हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करने के अलावा पत्थरबाजी तक करनी पड़ी। वहीं, कुछ पुलिसकर्मी आमलोगों के वाहन तोड़ते नजर आए। उनकी हरकत कैमरे में भी कैद हो गई।
सबरीमाला मंदिर का कपाट खुलने के बाद वहां पूजा-अर्चना शुरू हो गया है। बड़ी तादाद में पहुंचने श्रद्धालुओं ने इसमें हिस्सा लिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर के कपाट पहली बार खुले हैं।
हिंसक विरोध-प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए केरल पुलिस ने सख्त कदम उठाया है। मंदिर के आसपास के इलाकों में धारा 144 लागू कर दिया है, ताकि लोगों का हुजूम इकट्ठा न हो सके। साथ ही किसी भी तरह की अप्रिय घटना को भी रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी थी। इसके बाद से ही इसको लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। 17 अक्टूबर को मंदिर का कपाट खुलना है, ऐसे में बड़ी तादाद में महिला श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचने लगे, लेकिन विरोध को देखते हुए उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। हालांकि, मंदिर के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
सबरीमाला को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। स्थिति इस हद तक खराब हो गई कि पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा। दरअसल, निलक्कल बेस कैंप में बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे। उन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस को न केवल लाठियां भांजनी पड़ी, बल्कि पत्थरबाजी भी करनी पड़ी।
सबरीमाला मामले में केरल की शिक्षा मंत्री केके. शैलजा ने विवादित टिप्पणी की है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर 'गंदी राजनीति' करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि यह विरोध-प्रदर्शन जानबूझकर किए जा रहे हैं। शैलजा ने कहा, 'हम यह भी नहीं कह सकते हैं कि वे (प्रदर्शनकारी) सच्चे श्रद्धालु हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश संवैधानिक और सरकार आदेश के क्रियान्वयन के लिए बाध्य है।'
मंदिर के लिए बुधवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। मंदिर का दरवाजा शाम पांच बजे खुलेगा। इसे मासिक पूजा के लिए खोला जाएगा जिसकी समाप्ति 22 अक्टूबर को होगी। सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के बाद मंदिर का दरवाजा पहली बार 10 से 50 साल की महिलाओं के लिए खोला जा रहा है।
बुधवार तड़के जब प्रदर्शनकारियों ने मंदिर तक जाने के मुख्य रास्ते पर बसों को रोकने का प्रयास किया तो पुलिस को उनके खिलाफ बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही वहां बेहद कम संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारी भाग निकले। मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने से कुछ घंटे पहले पुलिस ने कहा कि वह किसी को भी लोगों के आने-जाने में अवरोध पैदा नहीं करने देगी। निलक्कल का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में लेते हुए पुलिस ने अयप्पा मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में अवरोध पैदा करने वालों को चेतावनी दी।
बुधवार तड़के जब प्रदर्शनकारियों ने मंदिर तक जाने के मुख्य रास्ते पर बसों को रोकने का प्रयास किया तो पुलिस को उनके खिलाफ बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही वहां बेहद कम संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारी भाग निकले। मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने से कुछ घंटे पहले पुलिस ने कहा कि वह किसी को भी लोगों के आने-जाने में अवरोध पैदा नहीं करने देगी। निलक्कल का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में लेते हुए पुलिस ने अयप्पा मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में अवरोध पैदा करने वालों को चेतावनी दी।
दिन में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनिल कांत ने कार्यकर्ता व तांत्री परिवार के सदस्य राहुल ईश्वर से मुलाकात की थी। राहुल ईश्वर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं। कांत ने ईश्वर से कहा कि उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि कानून न तोड़ा जाए। ईश्वर ने कहा, "हमने अधिकारी से कहा कि हम यहां कोई विवाद पैदा करने के लिए नहीं है। हम यहां बैठकर पूजा कर रहे हैं। शाही व तांत्री परिवारों की महिलाओं सहित वरिष्ठ सदस्य पूजा में भाग ले रहे हैं जो बहुत ही जल्दी निलाक्कल में शुरू होगी।"
केरल के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने बुधवार को कहा कि किसी को भी सबरीमला जाने से रोका नहीं जाएगा। बेहरा ने कहा कि भगवान अयप्पा मंदिर के प्रमुख पुजारी ने घोषणा की है कि राजवंश व तांत्री के परिवार की महिलाएं प्रार्थना में भाग लेंगी। बेहरा ने मीडिया से कहा, "सबरीमला में व इसके चारों तरफ पुलिस की भारी तैनाती है।" बेहरा ने कहा कि निलाक्कल व पंबा में 1000 से ज्यादा पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। पुलिस प्रमुख ने कहा, "किसी को भी रोका नहीं जाएगा और किसी को कानून को हाथ में लेने की अनुमति नहीं होगी। सबरीमला सुरक्षित है और कोई भी आकर पूजा कर सकता है।"
केरल के पंबा में कुल 30 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से नौ को कल धरा गया, जबकि 21 को आज पकड़ा गया। ये सारी गिरफ्तारियां मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री का विरोध करने पर हुईं। हालांकि, गिरफ्तार किए गए लोगों में से दो को जमानत भी मिल गई।
सबरीमाला मंदिर जा रहीं महिला श्रद्धालु माधवी अपने बच्चों के साथ बीच विरोध के बाद बीच रास्ते से लौट रही हैं। घटनास्थल के दौरान पुलिस बल भी मौजूद था। (फोटोः ANI)
सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ विरोध जता रहे 50 लोगों को पथानमथिट्टा जिले में हिरासत में ले लिया गया है। इन लोगों में त्रावणकोर देवसम बोर्ड के अध्यक्ष प्रयर गोपालकृष्णन भी शामिल हैं।
निलक्कल में कांग्रेस पार्टी के नेता 10-50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। भारी विरोध के चलते एक महिला ने अपने रिश्तेदारों संग वापस लौटने का फैसला किया है। निलक्कल व पम्बा में 20 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनमें त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष परयार गोपालकृष्णन का नाम भी शामिल है।
सबरीमला आचार संरक्षण समिति के प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे नारायणन ने कहा, ‘‘भगवान अयप्पा हमारे भगवान हैं। किसी खास आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हमारे रीति-रिवाज का हिस्सा है। घने जंगलों में स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा करने के लिए रीति-रिवाजों का पालन करना बहुत जरूरी है। इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। अशुद्ध महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं देनी चाहिए।’’
अट्टाथोडू इलाके में आदिवासियों के मुखिया वी के नारायणन (70) ने कहा, ‘‘देवस्वोम बोर्ड ने सबरीमला के आसपास की विभिन्न पहाड़ियों में स्थित आदिवासी देवस्थानों पर भी नियंत्रण कर लिया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी मंदिर से जुड़े सदियों पुराने जनजातीय रीति-रिवाजों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। नारायणन ने कहा, ‘‘मेरी त्वचा को देखिए। हम आदिवासी हैं। जिन संस्थाओं पर हमारे रीति-रिवाजों के संरक्षण की जिम्मेदारी है, वही उन्हें खत्म कर रहे हैं।’’ यहां आदिवासियों के मुखिया को ‘मूप्पेन’ कहा जाता है।
सबरीमला की आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं पर लगी बंदिशें केरल के जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाजों के रीति-रिवाज का हिस्सा हैं।
सबरीमला मंदिर बुधवार शाम पांच बजे पारंपरिक मासिक पूजा के लिए खुलेगा। निलक्कल में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कहा, "हम प्रतिबद्ध हैं, चाहे जो हो जाए, हम 10 से 50 वर्ष की किसी भी महिला को मंदिर के समीप नहीं पहुंचने देंगे। यह जिंदगी और मौत का सवाल है और हम किसी भी परिस्थिति में परंपरा का उल्लंघन नहीं होने देंगे।" प्रदर्शनकारी मुख्यत: स्थानीय और आस-पास के क्षेत्रों के बताए जा रहे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि जो भी सबरीमला मंदिर प्रार्थना करने जाएगा, उसकी रक्षा की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केरल सरकार सभी श्रद्धालुओं के अधिकारों की रक्षा करेगी। विजयन ने मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह बात तब कही, जब मीडिया ने इस ओर इशारा किया कि मंदिर की परंपरा को बरकरार रखने के लिए लड़ने वालों ने वाहनों का निरीक्षण किया कि क्या इन वाहनों में 10-50 वर्ष उम्र तक की कोई महिला मौजूद है।
अयप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कुछ श्रद्धालू धरना दे रहे हैं और अयप्पा मंत्र का जाप कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों में कुछ ने पम्बा जाने वाले वाहनों को जांचा और उनमें सवार 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर जाने से रोक दिया, इस पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की। इससे पहले सबरीमला आचार संरक्षण समिति के कार्यकर्ताओं ने बीते सोमवार की रात तमिलनाडु से पम्बा जा रहे 45 और 40 वर्ष आयु के दंपति को केएसआरटीसी के बस से कथित रूप से उतरने को बाध्य कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयप्पा स्वामी मंदिर के दरवाजे पहली बार बुधवार की शाम खुलने वाले हैं। पांच दिन की मासिक पूजा के बाद यह 22 अक्टूबर को फिर बंद हो जाएंगे।
भगवान अयप्पा स्वामी मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल पर महिला पुलिसकर्मियों सहित करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात हैं। इस बीच पम्बा में श्रद्धालुओं के एक अन्य समूह ने गांधीवादी तरीके से अपना विरोध जताया।