विदेश मंत्री एस जयशंकर मोदी सरकार के सबसे मजबूत मंत्रियों में से एक माने जाते हैं। ब्यूरोक्रेसी से सियासत में आए और अब भारत की विदेश नीति से जुड़े बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में रहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि एस जयशंकर ने आज तक कभी चुनाव नहीं लड़ा बल्कि राज्यसभा के रास्ते वह केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे।
कैसा रहा है विदेश मंत्रालय तक का सफर?
1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी एस जयशंकर ने पहले अमेरिका, चीन सहित अन्य यूरोपीय देशों में भारतीय राजदूत के तौर पर काम किया है। महत्वाकांक्षी भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते की बातचीत में उनकी भूमिका के भी काफी चर्चे रहे हैं। भारत और चीन के बीच डोकलाम संकट को खत्म करने में भी एस जयशंकर की महत्वपूर्ण भूमिका थी, यह एक ऐसा मुद्दा था जिसने दोनों देशों को अरुणाचल प्रदेश में युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया था। बीजिंग में अपने कार्यकाल के दौरान एस जयशंकर ने चीन के साथ व्यापार, सीमा और सांस्कृतिक संबंधों में सुधार कमें काफी काम किए। उन्हें 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
जब पीएम मोदी ने किया कॉल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी के कॉल से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था। उस वक़्त एस जयशंकर विदेश सचिव थे। वह बताते हैं कि एक बार देर रात मुझे पीएम मोदी को कॉल आया–मैंने कॉल उठाया तो उधर से आवाज़ आई–जागे हो?
पीएम मोदी का यह कॉल 2016 में युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मजार-ए-शरीफ में एक भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले से जुड़ी जानकारी के संबंध में आया था।
विदेश मंत्री बताते हैं–“आधी रात हो चुकी थी और अफगानिस्तान में मजार-ए-शरीफ में हमारे वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या हुआ और मेरा फोन बज उठा। इससे मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ। यह पीएम मोदी का फोन था।” हालांकि ऐसा कहा जाता है कि जब पीएम हाउस से कॉल आता है तो कॉलर आईडी शो नहीं होती है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “इस बार यह कॉल पीएम मोदी का था। पीएम ने पूछा क्या आप टीवी देख रहे हो?—मैंने जवाब दिया –हां सर। इसके संबंध में ज़्यादा जानकारी पाएं तो मुझे कॉल करें।”