S. Jaishankar’s reaction to the US move: अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की कूटनीतिक पकड़ एक बार फिर मजबूत होती दिखी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित करने के फैसले का खुले शब्दों में स्वागत किया। यह कदम ना सिर्फ भारत-अमेरिका के बढ़ते आतंकवाद-रोधी सहयोग को दर्शाता है, बल्कि भारत की सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लेने की एक मिसाल भी है।

जयशंकर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी साझेदारी की एक ठोस पुष्टि। लश्कर-ए-तैयबा के प्रतिनिधि TRF को आतंकवादी घोषित करने के लिए अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो और विदेश विभाग की सराहना करता हूं। यह संगठन 22 अप्रैल को हुए घातक पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ले चुका है। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस।”

TRF ने अप्रैल में पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी

TRF को व्यापक रूप से पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा संगठन माना जाता है। यह वही लश्कर है जिसने 2008 के मुंबई हमलों को अंजाम दिया था। TRF ने हाल ही में 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिनमें कई पर्यटक भी शामिल थे। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह हमला भारत में 2008 के बाद सबसे भीषण नागरिक हत्याकांडों में से एक था।

अमेरिका ने TRF को कैसे घोषित किया आतंकवादी संगठन? भारत के लिए ये कितनी बड़ी जीत

अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने भी इस कार्रवाई को भारत-अमेरिका सहयोग के लिए निर्णायक मोड़ बताया और कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने TRF को लश्कर का “मुखौटा और प्रतिनिधि संगठन” बताया।

इस घटनाक्रम को लेकर वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने भी बयान जारी किया और कहा कि यह फैसला भारत-अमेरिका के गहरे होते रणनीतिक रिश्तों और साझा सुरक्षा हितों की पुष्टि करता है।

एस जयशंकर की प्रतिक्रिया से साफ है कि उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को दृढ़ता से रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि भारत पर होने वाले हमलों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय नजरअंदाज न करे। आतंकवाद के खिलाफ उनका ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ वाला रुख आज एक वैश्विक सिद्धांत के रूप में उभर रहा है।