विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। बुधवार को रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात के दौरान जयशंकर ने कहा कि उन्हें व्यापार और निवेश संबंधों का पूर्ण उपयोग करना चाहिए। वह गुरुवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। रूसी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि वे मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए एक विशेष तंत्र विकसित करेंगे।
ऐसे समय में जब भारत पर अमेरिका ने लगभग 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं जिसमें रूसी तेल आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है, मास्को में जयशंकर ने कहा, “हमें एक ही रास्ते पर नहीं अटकना चाहिए। अधिक करना और अलग तरीके से काम करना हमारा मंत्र होना चाहिए।”
रूस में क्या बोले एस जयशंकर?
विदेश मंत्री ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में कहा कि भारत और रूस को द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाकर और अधिक संयुक्त उद्यमों के माध्यम से अपने सहयोग के एजेंडे में निरंतर विविधता लानी चाहिए और उसका विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अधिक काम करना और अलग तरीके से काम करना हमारा मंत्र होना चाहिए।’’ जयशंकर-मंटुरोव की वार्ता भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के ढांचे के तहत आयोजित की गई।
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वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में भारत-रूस संबंधों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत करने के लिए विशिष्ट सुझाव दिए। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न कार्य समूह और उप-समूह अपने-अपने एजेंडे के प्रति अधिक रचनात्मक और नए दृष्टिकोण अपना सकते हैं। मैंने जिन परिदृश्यों का उल्लेख किया है, उनसे उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए हमारा ऐसा करना आवश्यक है।’’
हमें एक ही रास्ते पर अटके नहीं रहना चाहिए- विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को आपसी परामर्श के माध्यम से अपने एजेंडे में निरंतर विविधता लानी चाहिए और उसका विस्तार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें अपने व्यापार और निवेश संबंधों की पूरी क्षमता का उपयोग करने में मदद मिलेगी। हमें एक ही रास्ते पर अटके नहीं रहना चाहिए।’’ जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए मापे जा सकने वाले लक्ष्य और विशिष्ट समय-सीमा निर्धारित करने का भी आह्वान किया।
जयशंकर से मुलाकात के बाद क्या बोले रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री?
वहीं, रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने बुधवार को कहा कि रूस से तेल और ऊर्जा संसाधनों का भारत में प्रवाह जारी है और मॉस्को को एलएनजी निर्यात की संभावनाएं नजर आ रही हैं। मंटुरोव ने कहा, ‘‘हम कच्चे तेल और तेल उत्पादों, तापीय और कोयले सहित ईंधन का निर्यात जारी रखे हुए हैं। हम रूसी एलएनजी के निर्यात की संभावना देखते हैं।’’ नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण परमाणु क्षेत्र में व्यापक सहयोग का विस्तार करने की उम्मीद करते हैं, जिसमें कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माण परियोजना के सफल अनुभव के आधार पर सहयोग भी शामिल है।’’ पढ़ें- जयशंकर ने ताइवान को चीन का हिस्सा बताया, बैठक के बाद ‘ड्रैगन’ का दावा
(भाषा के इनपुट के साथ)