India-Russia War: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने न केवल रूस के साथ व्यापार जारी रखने का फैसला किया है बल्कि निकट भविष्य में मास्को के साथ अपने व्यापार को दोगुना करने का भी फैसला किया है।
दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा में बढ़ोत्तरी भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल के अधिक आयात के कारण हुई है। भारत रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से अपने कुल कच्चे तेल का 1 प्रतिशत से भी कम आयात करता था, लेकिन अब अपनी कुल आवश्यकता का लगभग 22 प्रतिशत आयात करता है। वहीं, इराक और सऊदी अरब से कच्चे तेल का आयात भारत के कुल आयात का क्रमशः लगभग 21 और 16 प्रतिशत है।
भारत-रूस व्यापार को दोगुना करने का फैसला: जुलाई में आरबीआई ने भारतीय रुपये में विदेशी व्यापार के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए वित्तीय सेवा विभाग द्वारा बैठक बुलाई थी। कॉमर्स डिपार्टमेन्ट का कहना है कि वह विभिन्न निर्यातकों और व्यावसायिक संस्थाओं से प्रतिक्रिया के आधार पर भविष्य में भारत-रूस व्यापार को दोगुना करने और इसे आगे बढ़ाने के बारे में सोचेगा। सितंबर 2022 में एक उच्च-स्तरीय बैठक में कहा गया कि भारतीय रुपये में व्यापार के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी। इस बैठक के बारे में जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत इंडियन एक्सप्रेस द्वारा हासिल की गयी है।
भारत-रूस संबंधों से देश को फायदा: 9 नवंबर 2022 को विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मास्को में मुलाकात की और भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह मास्को से खरीद जारी रखेगा। विदेश मंत्री जयशंकर ने मास्को में कहा, “तेल और गैस के दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में और एक उपभोक्ता के रूप में जहां आय का स्तर बहुत अधिक नहीं है, यह सुनिश्चित करना हमारा मौलिक दायित्व है कि भारतीय उपभोक्ता के पास सबसे लाभदायक दरों पर माल पहुंचे। ऐसे में हमने देखा है कि भारत-रूस संबंधों ने हमारे फायदे के लिए काम किया है। अगर यह मेरे लाभ के लिए काम करता है, तो मैं इसे जारी रखना चाहूंगा।”
गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से, अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम के देशों ने मास्को पर प्रतिबंध लगाए हैं।