देश की राजनीति में इमरजेंसी का समय एक काले अध्याय के रुप में जाना जाता है। इमरजेंसी में संजय गांधी की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। इमरजेंसी का ही समय था, जब एक महिला, संजय गांधी से करीबी के चलते दिल्ली के सत्ता गलियारों में काफी ताकतवर हो गई थी।वह महिला थी रुखसाना सुल्ताना। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रशीद किदवई ने अपनी किताब ’24 अकबर रोड’ में इस बारे में काफी कुछ लिखा है। रुखसाना सुल्ताना की पहचान संजय गांधी की करीबी और एक समाजसेविका के तौर पर है। किताब के अनुसार, रुखसाना सुल्ताना की संजय गांधी के साथ इतनी करीबी थी कि संजय की पत्नी मेनका गांधी, इंदिरा गांधी और उस वक्त यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अंबिका, रुखसाना सुल्ताना को पसंद नहीं करती थीं। इसके बावजूद रुखसाना सुल्ताना राजनैतिक तौर पर काफी ताकतवर हो गई थीं।

इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी ने नसबंदी कार्यक्रम चलाया था और रुखसाना सुल्ताना को मुस्लिम बहुल इलाके जामा मस्जिद में लोगों की नसबंदी कराने और वहां से अवैध निर्माण हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसे लेकर खूब विवाद भी हुआ था। रुखसाना सुल्ताना के निजी जीवन की बात करें तो उनकी शादी शिवेन्द्र सिंह के साथ हुई थी, लेकिन जल्द ही दोनों का तलाक हो गया था। रुखसाना सुल्ताना की एक बेटी है, जिसे लोग बॉलीवुड अभिनेत्री अमृता सिंह के रुप में जानते हैं। तलाक के बाद रुखसाना सुल्ताना ने दिल्ली में एक ज्वैलरी बुटीक खोला था। बताया जाता है कि संजय गांधी रुखसाना सुल्ताना के बुटीक पर गए थे, उसके बाद से ही दोनों के बीच जान-पहचान हुई। रुखसाना खुद को संजय गांधी की ‘आइसक्रीम वाली दोस्त’ बताती थी। हालांकि इसका क्या मतलब है, ये किसी को नहीं पता है!

किताब के अनुसार, जामा मस्जिद इलाके में रुखसाना सुल्ताना ने 8000 लोगों को नसबंदी कराने के लिए ‘प्रेरित’ किया था, जिसके एवज में उसे सरकार से कथित तौर पर 84,000 रुपए मिले थे। बताया जाता है कि जुलाई 1976 में जब रुखसाना सुल्ताना ने दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके में कई दुकानों को ध्वस्त कराया, उस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध किया था। जिसके चलते पुलिस ने भीड़ पर लाठी चार्ज, आंसूगैस के गोले और आखिरकार गोलियां भी चलायी थीं। जिसके चलते कई लोगों की मौत भी हुई थी।

तत्कालीन यूथ कांग्रेस की नेता अंबिका ने एक बार अपने एक इंटरव्यू में रुखसाना सुल्ताना की आलोचना की थी और बताया था कि वह इंदिरा गांधी के आवास में रुखसाना सुल्ताना की मौजूदगी को बर्दाश्त भी नहीं कर पाती हैं। अंबिका ने इसे लेकर इंदिरा से रुखसाना की शिकायत भी की थी। इस पर इंदिरा ने अंबिका को संजय गांधी से इस बारे में बात करने को कहा था। किताब के अनुसार, संजय गांधी ने अंबिका द्वारा रुखसाना की शिकायत को यह कहकर नजरअंदाज कर दिया था कि ‘यूथ कांग्रेस को रुखसाना की जरुरत है, ना कि रुखसाना को यूथ कांग्रेस की।’