आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में वादा किया था कि दिल्ली के अस्पतालों में 30,000 बिस्तर बढ़ाए जाएंगे। कई नए अस्पताल खोले जाएंगे। डॉक्टरों के खाली 40 पद भरे जाएंगे। लेकिन सरकार बनने के पांच साल बाद भी इन दावों व हकीकत में एक बड़ा फासला दिखाई पड़ रहा है। एक भी नया अस्पताल चालू नहीं हो पाया है। दिल्ली की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018-19 के मुताबिक, दिल्ली सरकार के 38 अस्पतालों में कुल आबंटित बिस्तरों की संख्या 11353 है। जो पांच साल पहले करीब नौ से 10,000 के बीच था।
वहीं सूचना के अधिकार कानून के मुताबिक, दिल्ली के स्वास्थ्य बजट का 48 फीसद हिस्सा खर्च ही नहीं हो सका है। हालांकि केजरीवाल ने दावा किया है कि दिल्ली के अस्पतालों में छह करोड़ मरीजों का सालाना इलाज होने लगा है जो पहले तीन करोड़ मरीज सालाना था।
दिल्ली सरकार स्वास्थ्य व शिक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में गिनाती रही है। इस दिशा में कई पहल तो की गर्इं। लेकिन किए गए दावों व हकीकत में अभी भी बड़ा अंतर है। कुछ मौजूदा अस्पतालों में थोड़े बिस्तर बढ़ाए गए है। लेकिन अभी भी एक बिस्तर पर एक से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है।
दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में केंद्र व दिल्ली सरकार निगम व निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल बिस्तरों की संख्या 2014-15 में 48,096 थी जो 2019 तक बढ़ कर 57194 हुई। जिसमें 29301 बिस्तर निजी क्षेत्र के हैं। इनमें दिल्ली सरकार के अस्पतालों के महज 11353 बिस्तर ही हैं।
