आरएसएस की सांस्कृतिक इकाई संस्कार भारती ‘भारतीय ज्ञान का भंडार’ दिखाने के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेगी। यह कार्यक्रम अगले साल सितम्बर-दिसंबर के बीच किया जा सकता है। तीन तक चलने वाले इस कार्यक्रम का नाम संस्कृति नैमिष्य होगा और इसमें बड़ी संख्या में साधु, विद्वान और कलाकारों को बुलाया जाएगा।
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इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को 11 नैमिष्य अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी दिए जाएंगे। संस्कार भारती का कहना है कि नैमिष्य सम्मान पुरस्कार राशि और प्रमाण के मामले में दुनिया के किसी भी सम्मान के बराबर होगा। संस्कार भारती पुरस्कार राशि के रूप में 68.7 करोड़ रुपये खर्च करेगी, इसमें कार्यक्रम के आयोजलन राशि अलग है। गौरतलब है कि साल 2016 में नोबेल पुरस्कार के तहत 6.24 करोड़ रुपये दिए गए थे।
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आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और संस्कार भारती के सहयोगी आयोजन सचिव अमीर चंद ने बताया, ”दुनिया में कई ज्ञान और कला के केंद्र हैं लेकिन काशी इकलौती जगह है जहां ज्ञान, कला और अध्यात्म का संगम है। इसलिए इस महा कार्यक्रम के लिए काशी को चुना गया है। काशी नटराज(भगवान शिव) का शहर है। सभी विचारों का स्थायी केंद्र यहीं पर है।” पुरस्कार विजेताओं का चयन अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी करेगी। इसके तहत शांति के लिए बुद्ध, मानवाधिकारों के लिए महात्मा गांधी, कला के लिए कालिदास, प्रदर्शन कला के लिए भरत मुनि, विज्ञान के लिए आर्यभट्ट, राजनीति के लिए कौटिल्य, अंतरराष्ट्रीय एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल, सामाजिक और आध्यात्मिक एकता के लिए शंकराचार्य, अखंड मानवता के लिए दीनदयाल उपाध्याय, शिक्षा के लिए मदन मोहन मालवीय और सामाजिक सौहार्द्र के लिए डॉ. बीआर अम्बेडकर पुरस्कार होंगे।
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आरएसएस इस कार्यक्रम का आयोजन हर तीन साल में एक बार करेगा। इसके जरिए आरएसएस उन लोगों को जवाब देगा आरोप लगाते हैं कि दक्षिण पंथी संगठन में बौद्धिक संपन्नता की कमी है। आरएसएस के एक प्रचारक ने बताया, ”रचनात्मक और अकादमिक क्षेत्रों में काफी सारे लोग हैं जो राष्ट्रवादी सोच रखते हैं। लेकिन कांग्रेस के 60 साल के शासन ने राष्ट्रवाद को कमजोर कर दिया है। हाल के दिनों में देश में फिर से राष्ट्रवाद का वातावरण बनाया गया है। वैश्विक स्तर पर भारतीय विचारों को प्रमुखता मिली है।”
संस्कार भारती ने इस काम के लिए क्लासिकल सिंगर गिरिजा देवी, फिल्म निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी, नृत्यांगना सोनल मानसिंह, कलाकार वासुदेव कामत, थियेटर कलाकार बिमल लाठ, लोक गायिका मालिनी अवस्थी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी को जोड़ा है। कई मंत्रालयों और उद्योगों से भी सहयोग और विचार मांगे गए हैं।
