राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और शिवसेना, दोनों ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रही हैं। सत्ताधारी बीजेपी ने अयोध्या में होने वाले आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला अपने कार्यकर्ताओं पर छोड़ दिया है। आरएसएस ने 25 नवंबर को अयोध्या में जनाग्रह रैलियां करने का फैसला किया है। इसके जरिए संगठन राम मंदिर के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा। हालांकि, आरएसएस की रैलियां सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं हैं। नागपुर से लेकर बेंगलुरु में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जहां तक अयोध्या में होने वाली रैलियों का सवाल है, आरएसएस के बड़े नेता इसमें शामिल होने पहुंचेंगे।

वहीं, उद्धव ठाकरे की अगुआई में शिवसेना भी 25 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अयोध्या में कार्यक्रम करने वाली है। आरएसएस और शिवसेना के कार्यक्रम अयोध्या में एक ही दिन होने हैं, लेकिन दोनों अपने कार्यक्रम अलग अलग करेंगे। कोंकण क्षेत्र के आरएसएस प्रचार प्रमुख प्रमोद बापट ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘आरएसएस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को राजनीतिक मुद्दा नहीं मानता। यह श्रद्धा का मामला है।’ वहीं, शिवसेना के नेताओं ने आरएसएस पर आरोप लगाया है कि संगठन उनके 25 नवंबर के कार्यक्रम को हाइजैक करने के मूड में है।

इसके जवाब में आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘आरएसएस बेहद विशाल और पूरे भारत और देश के बाहर भी प्रभाव रखने वाला संगठन है। संगठन का हर कार्यक्रम की तैयारी बहुत पहले से विस्तृत तरीके से की जाती है। आखिरी वक्त में कुछ भी तय नहीं किया जाता।’ उन्होंने कहा, ‘हम किसी की आलोचना करने में भरोसा नहीं रखते। अगर शिवसेना जैसी क्षेत्रीय पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के समर्थन के लिए जा रही है तो हम उनका स्वागत करते हैं।’ हालांकि, शिवसेना के नेताओं का मानना है कि आरएसएस की रैलियों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि राम मंदिर का क्रेडिट बीजेपी को जाए। चूंकि बीजेपी केंद्र और राज्य, दोनों ही जगह सत्ता में है इसलिए उसने अपने संगठनों आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को इस मुद्दे पर सामने किया है।

शिवसेना नेता और मंत्री रवींद्र वाइकर ने कहा, ‘ठाकरे के नेतृत्व में सभी मंत्री, विधायक और सांसद अयोध्या जाएंगे। सरयू नदी के तट पर एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके बाद अयोध्या में पहले से स्थित राम मंदिर जाया जाएगा। हम किसी का एजेंडा हाइजैक करने की कोशिश नहीं कर रहे। शिवसेना नेतृत्व ने बीजेपी को इस मामले की याद दिलाई है। शिवसेना ने बीजेपी को उसका वादा याद दिलाया है जोकि उनके सत्ता में आने के बाद भी पूरा नहीं किया गया।’ हालांकि, बीजेपी ने अपने नेताओं से कहा है कि वे शिवसेना के साथ जुबानी लड़ाई में मत उलझें।