नौ दशक के लंबे समय के बाद राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ(आरएसएस) की पोशाक इस दशहरे को बदल जाएगी। आरएसएस के कार्यकर्ता खाकी शॉर्ट की जगह गहरे खाकी रंग की पैंट पहने नजर आएंगे। नर्इ पोशाक के 10 हजार जोड़े नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्‍यालय पर पहुंच गए। इनमें सफेद शर्ट, काली टोपी, काला चमड़े का बेल्‍ट, गहरे भूरे मौते व काले जूते, बांस का डंडा और खाकी पैंट शामिल है। नई पैंट की कीमत 250 रुपये हैं। इस साल 11 अक्‍टूबर को दशहरे पर पहली बार आरएसएस कार्यकर्ता यह पोशाक पहनेंगे।

इन पैंट की सिलाई राजस्‍थान में हुई है। दशहरे तक इस तरह की 50 हजार पैंटों की सप्‍लाई की जाएगी। पोशाक में बदलाव का फैसला इस साल राजस्‍थान के नागौर में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के दौरान लिया गया था। हालांकि बदलाव की मांग लंबे समय से चल रही थी। इसके लिए कई अंदरूनी सर्वे किए गए और जमीनी स्‍तर से भी राय ली गई। इससे पहले 1940 में आरएसएस ने खाकी शर्ट की जगह सफेद शर्ट को अपनाया था। वहीं साल 2010 में बेल्‍ट में बदलाव हुआ था। नए बदलाव को लेकर संगठन में मिश्रित रुझान है। पांच साल पहले संघ के सामने स्वयंसेवकों को खाकी हॉफ पैंट के बजाए काले, नीले या धूसर रंग का फुल पैंट पहनने की अनुमति देने का प्रस्ताव आया था ताकि बदले वक्त के साथ वे भी तालमेल बैठाते नजर आएं। मगर तब इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।