राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत दो साल पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद पहली बार मणिपुर का दौरा करेंगे। संगठन के एक पदाधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। वह 20 नवंबर को मणिपुर पहुंचेंगे और 22 नवंबर 2025 को उनकी वापसी होगी।
संघ के मणिपुर के सह-सरकार्यवाह तरुण कुमार शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि तीन दिवसीय प्रवास के दौरान भागवत नागरिकों, उद्यमियों और आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारे सरसंघचालक का राज्य का दौरा संघ के शताब्दी समारोह के सिलसिले में है। वह 20 नवंबर को गुवाहाटी से यहां आ रहे हैं और 22 नवंबर को उनकी वापसी होगी।’’
हिंसा के बाद पहली बार मणिपुर जाएंगे RSS प्रमुख
संघ के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि दो साल पहले हिंसा भड़कने के बाद से भागवत का यह पहला दौरा होगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने आखिरी बार 2022 में राज्य का दौरा किया था। शर्मा ने बताया कि उनकी यात्रा के कार्यक्रम के तहत प्रमुख नागरिकों, जनजाति समुदाय के प्रतिनिधियों और युवा नेताओं के साथ अलग-अलग संवादात्मक सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “अपने आगमन के दिन वह इंफाल के कोंजेंग लेइकाई में एक कार्यक्रम में उद्यमियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मिलेंगे। 21 नवंबर को भागवत मणिपुर के पहाड़ी इलाकों के आदिवासी नेताओं से मिलेंगे और बातचीत करेंगे।”
पढ़ें- कुख्यात नक्सली हिडमा मारा गया, एक करोड़ रुपये का था इनामी
यह पूछे जाने पर कि क्या संघ प्रमुख राहत शिविरों का दौरा करेंगे जहां आंतरिक रूप से विस्थापित लोग पिछले दो वर्षों से रह रहे हैं, संघ पदाधिकारी ने कहा कि यह अभी कार्यक्रम में नहीं है। यह दौरा मुख्य रूप से संगठन का आंतरिक हिस्सा है।
भारत और हिंदू पर्यायवाची- मोहन भागवत
वहीं, दूसरी ओर गुवाहाटी पहुंचे सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जो कोई भी भारत पर गर्व करता है वह हिंदू है। उन्होंनें कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना आरएसएस की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भारत और हिंदू पर्यायवाची हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र होने के लिए किसी आधिकारिक घोषणा की आवश्यकता नहीं है। इसकी सभ्यतागत भावना पहले से ही इसे दर्शाती है। भागवत ने ये भी कहा कि आरएसएस की स्थापना किसी का विरोध करने या किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं की गई थी बल्कि इसका ध्यान चरित्र निर्माण और भारत को विश्व गुरु बनाने में योगदान देने पर है।
