राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली शाखा भारतीय शिक्षण मंडल (बीएसएम) ने मांग की है कि केन्द्र सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय का विलय करे, ताकि इससे असल भारतीय पाठ्यक्रम को लागू करने में आसानी होगी। 1969 में बने इस संगठन का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था का पुनर्उत्थान करना है। आरएसएस का यह सहयोगी संगठन प्राचीन भारतीय पाठ्यक्रम, व्यवस्था पर आधारित नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू करना चाहता है।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, भारतीय शिक्षण मंडल ने सुझाव दिया है कि एचआरडी मिनिस्टरी का नाम बदलकर ‘मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन’ कर दिया जाए। उल्लेखनीय है कि डॉ.के.कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक कमेटी ने बीते दिनों ही एजुकेशन पॉलिसी का एक ड्रॉफ्ट एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल को सौंपा है, इसमें भी एचआरडी मिनिस्टरी का नाम बदलकर मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन करने की सलाह दी गई है।

बीएसएम के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय के अधीन 150 इंस्टीट्यूट आते हैं, जो कि आर्ट की शिक्षा देते हैं, ऐसे में दोनों मंत्रालयों का विलय किए जाने से शिक्षा प्रक्रिया ज्यादा संस्कृति के साथ जुड़ सकेगी। बीएसएम का तर्क है कि आजादी के वक्त भी संस्कृति मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय एक ही थे, जिन्हें बाद में 1980 में अलग-अलग कर दिया गया था।

वहीं जब एचआरडी मिनिस्टरी से इस बारे में सवाल किया गया तो मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें अभी तक इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। वहीं दूसरी तरफ इस प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। कई बुद्धिजीवी लोगों ने इसका विरोध किया है। आरएसएस से जुड़ा संगठन पाठ्यक्रम में स्थानीय भाषाओं के साथ ही संस्कृति भाषा को भी अनिवार्य कराना चाहता है।

भारतीय शिक्षण मंडल ने देश में एजुकेशन पॉलिसी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी।