मोदी सरकार जहां एक तरफ सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक रूप से विनिवेश की प्रक्रिया को गति देने में लगी है वहीं दूसरी ओर उसे अपने ही समर्थक खेमे की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने आवाज उठाई है।

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में रणनीतिक निवेश के तहत हिस्सेदारी बेचना न सिर्फ अविवेकपूर्ण व्यावसायिक निर्णय है बल्कि यह राष्ट्र हित के खिलाफ है। साथ ही यह कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने की कोशिश है।

महाजन ने कहा कि पीएसयू को बेचना देश की जनता को नकारना है। देश की जनता ही इन सार्वजनिक उपक्रमों की वास्तविक मालिक है। महाजन ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के इस कदम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि सरकार को सरकार को न सिर्फ इन सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने या सौंपने की योजनाओं का भी विरोध करना चाहिए।

मंच के इस रुख को विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। विपक्षी दल सरकार के इस कदम के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि मोदी सरकार को नीति आयोग की सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों संबंधी रिपोर्ट को खारिज कर देना चाहिए। यह रिपोर्ट कुछ सलाहकारों का काम है और इसे तवज्जो नहीं देनी चाहिए। यह पहली बार नहीं है कि स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के विनिवेश के कदम का विरोध किया हो।

साल 2018 में जब सरकार ने एयर इंडिया में विनिवेश की योजना रखी थी तब भी मंच ने उसका विरोध किया था। मालूम हो कि सरकार ने पिछले महीने ही भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल), पोत परिवहन कंपनी भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) और माल ढुलाई से जुड़ी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) में सरकारी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की चुनिंदा कंपनियों में हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से नीचे लाने को मंजूरी दी थी।