संसद में पिछले सप्ताह जब बताया गया कि देश की सभी राज्य सरकारों को बताया गया है कि वे अपने यहां पनाह पाये सभी अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे। इनमें भारत अवैध तरीके से रह रहे 40 हजार रोहंगिया मुसलमान भी शामिल हैं। सरकार के इस आदेश के बाद जम्मू, जोधपुर, दिल्ली, हरियाणा में रह रहे रोहंगिया शरणार्थी मुसलमानों के सामने जीवन-मरण का सवाल पैदा हो गया है। फातिमा दिल्ली के एक रिफ्यूजी कैंप में रहती है और किराना दुकान चलाती है। लेकिन फातिमा के लिए म्यांमार अब पराया मुल्क हो चुका है। फातिमा को सरकार के फैसले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन वो किसी कीमत पर भी म्यांमार नहीं जाना चाहती है। ये पूछे जाने पर कि अगर सरकार उन्हें वापस भेजती है तो वो कहां जाना पसंद करेगी, फातिमा कहती है कि वो दुनिया में कहीं भी चली जाएगी लेकिन म्यांमार नहीं जाएगी। फातिमा कहती है कि म्यांमार में भी अभी लोगों का धार्मिक उत्पीड़न जारी है। वहां औरतों के साथ रेप होता है, लोगों की हत्या कर दी जाती है, हम अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया कहीं भी चले जाएंगे, लेकिन वहां नहीं जाएंगे।
फातिमा कहती है कि उसे उम्मीद है कि भारत सरकार यहां से रोहंगिया मुसलमानों को वापस नहीं भेजेगी। फातिमा बताती है कि वो पांच साल से दिल्ली में रह रही है, उसके दो बच्चे यहां पैदा हुए है, दिल्ली अब उसकी दुनिया है। फातिमा कहती है कि उसे पता नहीं है कि भविष्य क्या होगा, लेकिन उसकी फरियाद है कि हिन्दुस्तान जैसे आजाद देश में उन्हें शरण मिलनी चाहिए। फातिमा कहती है कि कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें वापस जाना पड़ेगा, लेकिन कुछ लोग बताते हैं कि भारत सरकार अब उन्हें नहीं भेज सकती है। फिलहाल भारत में रह रहे लगभग 40 हजार रोहंगिया मुसलमानों का भविष्य अधर में लटका है।