देश भर में सड़कों का जाल बिछाने के बाद अब केंद्र सरकार टोल मार्ग (चुंगी मार्ग) की गड़बड़ियां दूर करने के लिए एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र बनाने जा रही है। इसके लिए उच्च मूल्य वाले टोल प्लाजा पर जांच कैमरे तैनात किए जाएंगे। केंद्र सरकार के सड़क व परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, केंद्र सरकार इस योजना पर विचार कर रही है।

टोल मार्ग पर सामने आई शिकायतों के बाद मंत्रालय ने इस नई व्यवस्था की कार्य योजना तैयार की है। केंद्र सरकार का दावा है कि इस गड़बड़ी में पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी। मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, अत्रैला शिव गुलाम शुल्क प्लाजा पर पूरा नकद संग्रहण किया जा रहा है, जिसका कुछ हिस्सा टोल प्रबंधन प्रणाली साफ्टवेयर के माध्यम से नहीं बल्कि अनाधिकृत हैंडहेल्ड मशीन के माध्यम से संसाधित किया जा रहा था।

टोल प्लाजा पर आडिट कैमरे लगाने पर विचार

मंत्रालय का कहना है कि इस घटना से सीख लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएनएआइ) का लक्ष्य अमान्य व गैर फास्टैग वाहनों से नकद संग्रहण प्रक्रिया को मजबूत करना है और शुल्क प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों की संख्या पर सख्त निगरानी के लिए एक अतिरिक्त निगरानी प्रणाली लगाने पर विचार किया जा रहा है ताकि इसका टोल प्लाजा से प्राप्त रसीदों से मिलान किया जा सके। इसी पहल के तहत एनएचएआई कृत्रिम मेधा (एआई) का उपयोग करके गुजरने वाले वाहनों की सटीक गणना और वर्गीकरण की स्वतंत्र रूप से निगरानी के लिए उच्च टोल प्लाजा पर आडिट कैमरे लगाने पर विचार कर रहा है।

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जिन शुल्क प्लाजा पर धोखाधड़ी की सूचना मिली है, उन पर मंत्रालय द्वारा जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। टोल एजंसियों के साथ अनुबंध समझौते के दायित्व के अनुसार आवश्यक जांच की जाती है और दायित्व पालन नहीं करने की स्थिति में समझौतों के मुताबिक दंड लगाया जाता है और इसमें एक वर्ष के तय समय तक संबंधित एजंसी को कार्य से निष्कासित करने का भी प्रावधान है। ऐसी कदम मंत्रालय द्वारा पहले भी उठाए गए हैं और पूर्व में ऐसे सात एजंसियों पर कार्रवाई के तहत आर्थिक दंड और निष्कासित किया गया है।

टोल संग्रहण प्रक्रिया से नकद संग्रहण को कर दिया गया है समाप्त

मंत्रालय के मुताबिक, एनएचएआई ने घरौंडा, निमिली, यूईआर- दो और द्वारका एक्सप्रेसवे पर प्रायोगिक (पायलट) आधार पर फास्टैग और स्वचालित नंबर प्लेट पहचान आधारित निर्बाध टोलिंग प्रणाली को लागू करने के लिए बोलियां भी आमंत्रित की है। दावा किया गया है कि यह प्रणाली विशेष तौर पर फास्टैग के माध्यम से प्रयोक्ता शुल्क संग्रहण को सक्षम बनानी है और अमान्य या गैर फास्टैग वाहनों के लिए ई नोटिस प्रस्तावित है, इस प्रकार टोल संग्रहण प्रक्रिया से नकद संग्रहण को समाप्त कर दिया गया है।

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सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक टोल संग्रहण (एनईटीसी) कार्यक्रम के मुताबिक लगभग 98 फीसद से अधिक प्रयोक्ता शुल्क संग्रहण फास्टटैग के माध्यम से होता है, जिसमें टोल प्रबंधन प्रणाली साफ्टवेयर, शुल्क प्लाजा पर अधिग्रहण कर्ता बैंक, केंद्रीय समाशोधन गृह के रूप में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और फास्टैग जारी कर्ता बैंक शामिल हैं। इसके माध्यम से लेन देन एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत होता है और सारी राशि एक केंद्रीय संग्रह में जमा होती है।