बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव की पार्टी के नेता लगातार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने संबंधी बिल का विरोध कर रहे हैं। हालांकि लोकसभा में पार्टी सांसदों ने इस बिल के पक्ष में मतदान किया है। मगर आरजेडी सांसद जेपी नारायण यादव से जब यह पूछा गया कि उन्होंने बिल के समर्थन में अपना वोट दिया या इसके विरोध में? इकनॉमिक टाइम्स के ‘थर्ड आई’ कॉलम में छपी खबर के मुताबिक सांसद ने इसका बहुत अटपटा सा जवाब दिया। सांसद ने दावा किया कि उन्हें यह याद ही नहीं है कि वोटिंग के दौरान उन्होंने कौन सा बटना दबाया। उन्हें याद नहीं कि बिल के पक्ष में मतदान किया या इसके विरोध में।

बता दें कि बीते बुधवार को बिल पर चर्चा के दौरान आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में खुलकर इस बिल का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि बिल पर उनकी पार्टी खुलकर विरोध करती है। उन्होंने कहा कि आरजेडी सामाजिक न्याय वाली पार्टी है। पार्टी ने इसके लिए हमेशा लड़ी है। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 15 और 16 जब बना तो उसपर कई दिनों तक चर्चा हुई। मगर कुछ घंटों में इसकी आत्मा मारने का निर्णय ले लिया गया। उन्होंने कहा, ‘हम तो इसकी नीति और नीयत दोनों के खिलाफ है। हम सीधे तौर पर कहते हैं आरक्षण खत्म कर देंगे लेकिन पहले जाति खत्म करो।’

जानना चाहिए कि 9 जनवरी, 2019 को सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल राज्यसभा में पास हो गया है। बिल पर बुधवार को दोपहर एक बजे के बाद बहस शुरू हुई। इसके बाद रात दस बजे बिल पर वोटिंग कराई गई। विधेयक को 7 के मुकाबले 165 मतों से पारित कर दिया गया। बिल को सलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजा जाएगा। इसका फैसला भी बहुमत से लिया गया।  गरीब सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद सदस्यों ने इस बिल पर अपने विचार रखे थे।

बहस के दौरान करीब सभी पार्टियों ने बिल का समर्थन किया हालांकि कुछ सांसदों ने बिल पर थोड़ी नाराजगी भी जाहिर की। इसपर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ शब्दों में कहा कि समर्थन करना है तो खुलकर करें, लेकिन के साथ नहीं। साथ ही यह भी कहा कि केंद्र ही नहीं, राज्यों में भी आरक्षण मिलेगा। लोकसभा में यह बिल 3 के मुकाबले 323 वोटों से पारित कर दिया गया था।