चर्चित गजल गायक जगजीत सिंह पर आधारित एक नई पुस्तक में कहा गया है कि वर्ष 1979 में पाकिस्तान के पहले दौरे पर गये सिंह को सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी। हालांकि एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने उनकी जासूसी की जो संयोग से उनका प्रशंसक निकला। इस घटना का जिक्र सत्य सरन द्वारा लिखित और ‘हार्परकालिंस’ द्वारा प्रकाशित ‘बात निकलेगी तो फिर . द लाइफ एंड म्यूजिक आफ जगजीत सिंह’ पुस्तक में है।
पुस्तक में सिंह की पत्नी चित्रा सिंह के हवाले से लिखा गया है, ‘‘जब हम (पाकिस्तान) गये तो राजनीतिक स्थिति बहुत शांत नहीं थी, हम तनाव महसूस कर रहे थे। जब हम उतरे हमने गौर किया कि एक व्यक्ति विमान में घुसा और बस वहां खड़ा था। हमने उसे बार बार देखा। उसने हवाई अड्डे के बाहर हमारा पीछा किया और हमने उसे होटल में एक बार फिर देखा। यह हतोत्साहित करने वाला था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कमरे की घंटी बजी। जगजीत ने दरवाजा खोला और वह बाहर खड़ा था। वह अंदर घुसा। जगजीत ने उससे पंजाबी में पूछा, ‘‘क्या तुम हमारा पीछा कर रहे हो?’’
चित्रा ने बताया कि किस तरह जासूस ने कहा कि वह प्रशंसक है और ‘‘संकेत से बताया कि कमरे में जासूसी की गई है।’’
दौरे पर पति सिंह के साथ गई चित्रा ने कहा, ‘‘उसने बताया कि वह खुफिया विभाग से है, उसने पूरे ख्याल के साथ अखबार में लपेटकर रखी एक बोतल अपनी जैकेट के अंदर से निकाली, वह उपहार के तौर पर शराब लेकर आया था क्योंकि होटल यह (शराब) नहीं परोसता।’’
पुस्तक ने चित्रा के हवाले से कहा कि पाकिस्तान ने उनके किसी भी कार्यक्रम के आयोजन पर पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उन्होंने प्रेस क्लब से निजी आमंत्रण स्वीकार किया जहां उन्होंने खचाखच भरे सभागार में कार्यक्रम में भाग लिया।
अगले दिन वे पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त शंकर दयाल शर्मा के आवास पर एक निजी कार्यक्रम के लिए गये जिसके बाद दोनों के पास निमंत्रण की बाढ़ आ गई।
चित्रा ने याद किया कि उन्होंने पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें जारी वह नोटिस दिखाया जिसमें उन्हें केवल 20 फरवरी तक ठहरने की अनुमति दी गई थी और इसके बाद उन्हें कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने के आग्रह आने बंद हुए।