देश में कथित तौर पर ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के आरोप के साथ वैज्ञानिकों और लेखकों द्वारा अपने पुरस्कारों को लौटाने के कदम को गुरुवार को जानेमाने अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने खारिज करते हुए कहा कि उनकी गतिविधि सिर्फ ‘‘दिखावा’’ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में ‘‘कुछ एक घटनाएं हो सकती हैं’’ और इसके लिए तत्कालीन सरकार को जिम्मेदार ‘‘नहीं ठहराया जा सकता।’’

उन्होंने कहा कि अधिकतर सम्मान लोगों को उनकी जीवन भर की उपलब्धियों के लिए दिया जाता है और ‘‘आप (उन्हें लौटाकर) उसे कमतर नहीं कर सकते। लोगों को गौरवान्वित होना चाहिए कि राष्ट्र ने उन्हें सम्मानित किया है और जब तक वे इस दुनिया में हैं, वह (सम्मान) उनके साथ रहता है।’’

उन्होंने कहा पुरस्कार लौटाने से न तो सरकार को मदद मिलती है और न ही व्यक्ति को। एक सवाल के जवाब में नायर ने दावा किया, ‘‘(पुरस्कारों के लौटाने में) कुछ राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। हमेशा कुछ लोग होते हैं जो एक या अन्य दर्शन को मानते हैं। उसके पीछे कुछ राजनीतिक मकसद भी हो सकते हैं।’’

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पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित नायर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए काफी प्रचार होने के कारण यह जंगल में आग की तरह फैल रहा है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और लेखकों जैसे परिपक्व लोगों को इस तरह से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए और उन्हें रचनात्मक तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सम्मान लौटाने की कार्रवाई ‘‘सिर्फ एक दिन के लिए खबर बनती है’’ और इससे कोई मकसद नहीं पूरा होता। कोई यह काम कर सकता है कि वह ‘‘संबंधित लोगों’’ से बातचीत करे, उन्हें राजी करे और उन्हें ‘‘मुख्य धारा’’ में वापस लाए।

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उन्होंने कहा, ‘‘और उसके बाद हम कह सकते हैं कि हमने समाज के लिए कुछ किया है। हमें अग्र..सक्रिय होना होगा और इस प्रकार के कदम के बदले सुधारात्मक कदम उठाना होगा…..। मैं कहूंगा कि यह सिर्फ दिखावा है।’’

यह पूछे जाने पर कि कथित असहिष्णुता की घटनाओं के लिए सरकार को दोषी ठहराना अनुचित होगा, नायर ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से। सरकार के पास पहले से ही काफी जिम्मेदारियां हैं। वे देश के विकास और आम लोगों की समस्याओं को दूर करने की बात कर रहे हैं। यह काफी कठिन कार्य है।’’

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