रिजर्व बैंक ने गुरुवार को RTGS (Real Time Gross Settlement System) और NEFT (National Electronic Funds Transfer) पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक ने यह कदम देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के इरादे से उठाया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी और बैंकों को जल्द ही इसका फायदा ग्राहकों को देने को कहा। बताया जा रहा है कि इस संबंध में रिजर्व बैंक द्वारा अगले एक हफ्ते में बैंकों को निर्देश दे दिए जाएंगे। बता दें कि RTGS के तहत 2 लाख या इससे ज्यादा की ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की जा सकती है। वहीं NEFT के तहत दिन में किसी खास समय पर ट्रांजैक्शन की जा सकती है और उसे कुछ ही देर में प्रोसेस कर दिया जाता है। NEFT में न्यूनतम या अधिकतम ट्रांजैक्शन की कोई तय सीमा नहीं है।
बीती 29 मई को रिजर्व बैंक ने RTGS के लिए टाइम विंडो में डेढ़ घंटे की बढ़ोत्तरी कर उसे शाम 6 बजे तक कर दिया था। यह निर्देश 1 जून से लागू हो गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी भी दी कि एटीएम चार्ज और फीस की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की अध्यक्षता इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ करेंगे और यह कमेटी अगले 2 माह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किए हैं। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, इसे 6 फीसदी से कम करके 5.75 फीसदी कर दिया है। रेपो रेट घटने से बैंक से लोन लेना वाले कर्जदारों को थोड़ी राहत जरूर मिलने वाली है। जानकारों के मुताबिक आरबीआई के इस कदम से लोन सस्ता हो सकता है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट को भी संतुलित करने की कोशिश की गई है। इसे 5.50 फीसदी किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी मेंबर रेपो रेट में 0.25% की कटौती और बदलाव के पक्ष में रहे। मौद्रिक नीति सिमिति की बैठक का पूरा ब्यौरा 20 जून 2019 को जारी किया जाएगा।
(भाषा इनपुट के साथ)