नलवा, (जिला हिसार)। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन काफी दिनों तक की गुमशुदगी के बाद फिर चुनाव मैदान और कैमरों के सामने हैं। छह साल पहले फिजा नाम की की एक महिला (अब इस दुनिया में नहीं) के प्रेम के फेर में कुर्सी और धर्म छोड़कर चंद्रमोहन चांदमोहम्मद बन गए थे। चांद मोहम्मद बनने के कारण उनका परिवार, परिजन भी उनसे छिटक गए थे। लेकिन वही चांद मोहम्मद अब भजनलाल के लाड़ले पुत्र चंद्रमोहन बनकर जनता के सामने हैं।
चंद्रमोहन अब हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजका) के आधिकारिक उम्मीदवार के तौर पर नलवा में प्रचार मुहिम में लगे हैं और हाथ जोड़कर वोट मांग रहे हैं। हजका उनके छोटे भाई कुलदीप बिश्नोई की पार्टी है। चंद्रमोहन घर-घर जाकर वोट मांगने से पहले कहते हैं कि ताऊ थारा छोरा आ गया।
छह साल पहले चंद्रमोहन ने अपनी पत्नी को छोड़कर पूर्व एडवोकेट जनरल अनुराधा बाली (फिजा) से शादी की थी और इस्लाम अपना लिया था। लेकिन उनका प्रेम ज्यादा दिन टिक नहीं पाया। एक दिन टेलीफोन के जरिए उन्होंने फिजा को तलाक दे दिया। चांद मोहम्मद से नाता टूटने के बाद फिजा तनहाई में घुटने लगी और एक दिन चंडीगढ़ में अपने घर में कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
बहरहाल चंद्रमोहन अब पूरी तरह अपने परिवार के साथ चुनाव में लगे हैं। उनके साथ मां जस्मा देवी, पहली पत्नी सीमा बिश्नोई, बहन रोशनी बिश्नोई भी प्रचार में लगी हैं। वास्तव में चंद्रमोहन को इस चुनाव में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। यहां हो रहे बहुकोणीय मुकाबले में राज्यसभा सदस्य रणबीर सिंह गंगवा (इनेलो), पूर्व गृहमंत्री और मौजूदा विधायक संपत सिंह (कांग्रेस) और भाजपा के हरी सिंह उनके सामने हैं। हालांकि चंद्रमोहन को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। वजह यह भी है कि इस क्षेत्र का काफी हिस्सा पहले आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में आता था, जहां भजनलाल परिवार का पांच दशक से दबदबा रहा है।
अपने पिता के नाम और काम का हवाला देते हुए चंद्रमोहन वोट मांगते हुए मतदाताओं से कह रहे हैं कि आप ने जिस तरह मेरे पिता का साथ दिया, उसी तरह मुझे आशीर्वाद दीजिए। मुकलान गांव के सीताराम शर्मा कहते हैं कि इस इलाके में कोई ऐसा घर नहीं है, जिसे भजनलालजी ने व्यक्तिगत रूप से फायदा नहीं पहुंचाया हो। वे कहते हैं कि उन्होंने हर किसी को सरकारी नौकरी दिलवाई। जिन लोगों को खाने के लिए दो वक्त का खाना नसीब नहीं था, उनके घर के लोग सरकारी नौकरियों में हैं। वे लोग उनके बेटे को वोट क्यों नहीं देंगे।
इसके बदले में चंद्रमोहन चाहते हैं कि उनका भाई कुलदीप राज्य का मुख्यमंत्री बने। वे कहते हैं कि मैंने अपनी पिता की समाधि पर यह प्रतिज्ञा की थी कि अपने भाई को मुख्यमंत्री बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगा।
हालांकि चंद्रमोहन को रोकने के लिए उनके विरोधी सक्रिय हो गए हैं। फिजा के साथ उनकी अंतरंग तस्वीरों वाले अनाम पोस्टर लगाए गए हैं और मतदाताओं से पूछा रहा है कि उसे वोट देने से पहले एक बार विचार कीजिए। बदले हुए चंद्रमोहन इस हकीकत को मानने से इनकार करते हैं। वे इस बात से साफ मना करते हैं कि वे कभी फिजा के प्रेमपाश में बंधे थे। उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश के तहत किया गया। मैं सारे मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांग चुका हूं। मैं अपने बच्चों और पत्नी से भी माफी मांग चुका हूं। हालांकि उन्होंने मुझे माफ कर दिया है, फिर भी प्रायश्चित के तौर पर मैंने सारी संपत्ति उनके नाम कर दी है।
इलाके के मतदाता भी इसे कोई खास मुद्दा नहीं मानते। मंगली गांव के देसराज कहते हैं कि यह बात पुरानी हो चुकी है। अब कोई इसकी चिंता नहीं करता। चौधरीवास गांव के करम वीर कहते हैं कि सत्ताधीशों के लिए विवाहेतर रिश्ते आम बात हैं। इनसे क्या फर्क पड़ता है। करमवीरचंद्रमोहन की तारीफ करते हुए कहते हैं कि वे घर आने वाले हर व्यक्ति से इज्जत से बात करते हैं और इस मामले में अपने भाइयों से अलग हं।