मध्य प्रदेश कैबिनेट ने ‘धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक’ को मंजूरी दे दी है। जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए यह कानून बनाया जा रहा है। जल्द इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार धर्मांतरण के खिलाफ कानून बना चुकी है। हिमाचल प्रदेश में भी यह कानून लागू हो चुका है।
इस कानून के तहत एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं 25 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि किसी का जबरन धर्मांतरण करवाने पर पांच साल तक की सजा हो सकती है। वहीं अगर महिला, नाबालिग या फिर एससी/एसटी का धर्मांतरण जबरदस्ती करवाया जाता है तो 2 साल से 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपया जुर्माना का प्रावधान है।
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आज धर्म स्वातंत्र्य विधेयक समेत अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को अध्यादेश के ज़रिये कानून बनाया जाएगा। pic.twitter.com/eBRmWybJOP
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 29, 2020
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि धर्म छुपाकर अथवा झूठा अभिनय करके अधिनियम के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किए जाने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है। एक ही समय में 2 या 2 से अधिक लोगों का सामूहिक धर्म परिवर्तन किए जाने पर 5 वर्ष-10 वर्ष का कारावास और न्यूनतम 1 लाख रु. के अर्थदंड की सज़ा होगी।
मध्य प्रदेश के अध्यादेश के मुताबिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले पुजारी या मौलवी को भी सजा दी जाएगी। इसके अलावा विधि के खिलाफ धर्म परिवर्तन करवाने पर विवाह को शून्य घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि विवाह के बाद पैदा होने वाली संतान को संपत्ति का अधिकार मिलेगा। इसके अलावा महिला को भरण-पोषण का भत्ता भी दिलाया जाएगा।
इससे पहले उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में कानून लागू हो चुका है। इस कानून के मुताबिक किसी के धर्म परिवर्तन कराने से पहले भी प्रशासन को सूचित करके इजाजत लेनी होगी। उत्तर प्रदेश में इस कानून के तहत कई केस भी दर्ज हुए हैं। हिमाचल और उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून में कई समानताएं हैं। बीजेपी शासित कई प्रदेशों में धर्मांतरण के खिलाफ कानून की चर्चा हो रही है।