एम्स के नए निदेशक इस दिशा में तमाम संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसके तहत कुछ अस्पतालों को एम्स अधिग्रहित कर सकता है । वहीं कुछ अस्पतालों के विस्तार पर एम्स के चिकित्सकों की मदद से इलाज देने की जुगत निकाली जा रही है। एम्स के चिकित्सकों को उन अस्पतालों में ले जा कर मरीजों को इलाज दिया जाएगा। साथ ही उन अस्पतालों के गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ने पर एम्स के मुख्य परिसर में भी लाया जा सकेगा।
एम्स जिन अस्पतालों को अपनी चिकित्सा सेवा के अधीन ले सकता है उनमें नई दिल्ली महानगर पालिका परिषद (एनडीएमसी ) के मोतीबाग स्थित 500 बिस्तरों वाले निर्माणाधीन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का नाम प्रमुख है। निदेशक दफ्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक,करीब साढे छह एकड़ में बन रहे इस अस्पताल को एनडीएमसी बना रही है।
करीब 500 करोड़ की लागत से बन रहे इस अस्पताल में एम्स के चिकित्सकों की मदद से इलाज किया जा सकेगा। यहां अभी तक पशु अस्पताल था जिसे दूसरी जगह बनाने की योजना है। इस अस्पताल को 2005 से बनाने की योजना थी लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इसका कुछ हिस्सा बना है ।
इसके साथ ही एम्स मैदानगढ़ी स्थित होम्योपैथिक अस्पताल जो एक तरह से बंद पड़ा है, उसमें भी संभावना देख रहा है। अधिकारी ने कहा कि एम्स में आज भी दूरदराज से मरीज इलाज कराने आते हैं लेकिन बिस्तरों की कमी से उन सभी को समय से इलाज नहीं मिल पाता। अधिकारी के मुताबिक इसी के तहत चरक अस्पताल में भी एम्स के मरीजों को ले जाकर इलाज किया जा सके इसकी बातचीत चल रही है। एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय के साथ बुधवार को एम्स निदेशक की इस बाबत चर्चा हुई है। चरक पालिका अस्पताल के पालिका के कुछ बिस्तरों को एम्स इस्तेमाल कर सकता है।
अस्पतालों से गंभीर मरीजों को लाने की योजना
एम्स की योजना है कि इन अस्पतालों में कोई गंभीर मरीज आता है और उसे एम्स लाया जाता है, तो उन अस्पतालों के खाली बिस्तरों पर एम्स के हल्के मामलों के मरीजों को भेजा जाएगा। अभी एम्स में सामान्य गर्भवती महिलाओं का प्रसव नहीं कराया जाता, जिससे यहां कर्मचारियों को भी दूसरे अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है।