उरी हमले को अंजाम देने वाले आंतकियों की मदद करने के आरोप में पकड़े गए दो पाकिस्तानी लड़कों के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि वह केस को फिर से देखें और उनके बच्चों को छोड़ दें। यह गुजारिश पाकिस्तान द्वारा भारतीय जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण को छोड़े जाने के बाद की गई है। चंदू बाबूलाल चव्हाण सर्जिकल स्ट्राइक के आसपास के वक्त गलती से सीमा पर कर पाकिस्तान में दाखिल हो गए थे। दरअसल, उरी हमले के बाद दो पाकिस्तानी लड़कों को पकड़ा गया था। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने उरी हमले करने में भूमिका निभाई। जिन दो लड़कों को पकड़ा गया था उनमें से एक का नाम अहसान खुर्शीद और दूसरे का फैसल अवान है। दोनों ही लड़कों की उम्र 15-16 साल के बीच है।
खुर्शीद पीओके के खलीना कलां में रहता है और फैसल पुत्था जानगीर का रहने वाला है। दोनों को आर्मी और बीएसफ ने मिलकर 21 सितंबर को पकड़ा था। अब फैसल अवान के भाई गुलाम मुस्तफा ने अपने भाई को छोड़ने की गुजारिश करते हुए कहा, ‘फैसल मेरा भाई तो स्कूल जाने वाला छोटा बच्चा है, वह दो देशों की राजनीति के बीच फंस गया है। वह बेकसूर है। लेकिन कोई हमारी मदद नहीं कर रहा। मैं समझता हूं कि पीएम मोदी मेरी पुकार सुनेंगे।’
सेना और NIA के बयानों में भी फर्क: विदेश मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान को सौंपे गए डोसियर में कहा गया था कि दोनों लड़कों ने मान लिया था कि वे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे और उरी हमले में उनका भी हाथ था। लेकिन पिछले ही हफ्ते NIA के डायरेक्टर जनरल शरद कुमार ने कहा था कि उरी हमला जैश-ए-मोहम्मद ने नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा ने किया था।
परिवार का कहना है कि लड़के उस दिन स्कूल की पिकनिक पर ना जाकर किसी लड़की से मिलने के लिए गए थे। लेकिन उसके परिवार के डर से वे जंगल की तरफ भाग गए थे। वहां से ही वे भारत में दाखिल हो गए। फैसल के भाई का कहना है कि उसकी मां फैसल के पकड़े जाने की बात सुनकर सदमे में है। भाई के मुताबिक, फैसल की मां ने उस दिन से अबतक अपने मुंह से एक शब्द भी नहीं बोला है।