सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में बड़े बदलाव करने के लिए एक अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिससे इस साल एक जून तक बनी दिल्ली की 895 अनधिकृत कालोनियां नियमित होंगी। सरकार के इस कदम से दिल्ली के करीब 60 लाख लोगों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में केंद्रीय कैबिनेट ने अधिनियम के दायरे में 13 केंद्रीय कानूनों को लाने के लिए संशोधन का फैसला किया है। जिन कानूनों में बदलाव की बात की गई, उनमें रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा, किसानों को अधिक मुआवजा प्रदान करना और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन से संबंधित कानून शामिल हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने समाज की विकास संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अधिनियम के कुछ प्रावधानों में रियायत देने और कानून में धारा 10ए को शामिल करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अगर भूमि का अधिग्रहण पांच उद्देश्यों सुरक्षा, रक्षा, ग्रामीण आधारभूत संरचना, औद्योगिक कोरिडोर और सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए होता है तो वहां अनिवार्य ‘सहमति’ की उपधारा और सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआइए) लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इन उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण करने की स्थिति में नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत मुआवजा और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन पैकेज लागू होगा।

अध्यादेश में जो बदलाव शामिल किए जाने हैं, उनके मुताबिक बहुफसली सिंचाई की भूमि भी इन उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित की जा सकती है।

कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते वित्त मंत्री अरुण जेटली। साथ हैं ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह।

 

जेटली ने अधिनियम में बदलाव लाने के सरकार के फैसले को जायज ठहराते हुए कहा-‘इस तरह की परियोजनाएं रक्षा के लिए तैयारी एवं रक्षा निर्माण सहित भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है।’ सहमति संबंधी उपधारा के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि अगर भूमि अधिग्रहण पांच उद्देश्यों के लिए किया जाता है तो सहमति की उपधारा से छूट मिल जाएगी।

इस फैसले के साथ पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन तथा उचित मुआवजे का अधिकार और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम-2013 में पारदर्शिता 13 मौजूदा केंद्रीय कानूनों के लिए भी लागू होगी। सरकार ने कहा कि जिन मुश्किलों की बात आ रही थी, उनको देखते हुए कैबिनेट ने कुछ संशोधनों को मंजूरी दी है।
जेटली ने बताया कि उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है, जिससे इस साल एक जून तक बनी दिल्ली की 895 अनधिकृत कालोनियां नियमित होंगी। सरकार के इस कदम से दिल्ली के करीब 60 लाख लोगों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि बैठक में उन मौजूदा दिशानिर्देशों में संशोधन को मंजूरी दी गई, जिससे एक जून 2014 तक बनी सभी अनधिकृत कालोनियां नियमित हो सकेंगी। नियमित करने की कट आॅफ तारीख 31 मार्च, 2002 से बढ़ा कर एक जून 2014 तक की गई है। इससे 31 मार्च, 2002 से एक जून, 2014 के बीच अस्तित्व में आई अनधिकृत कालोनियों में बड़ी संख्या में रह रहे लोगों को कालोनियां नियमित होने का लाभ मिलेगा।

जेटली ने कहा कि यह अध्यादेश दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधि (विशेष प्रावधान) संशोधन विधेयक, 2014 पर अध्यादेश का प्रभाव यह होगा कि 895 कालोनियों को फायदा होगा और वहां रह रहे करीब 60 लाख लोगों को भी लाभ होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि विस्तृत क्रियान्वयन और दिशानिर्देश संबंधित अधिकारियों की ओर से जारी किए जाएंगे। नियमित किए जाने से कालोनियों में बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी। अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के मुद्दे पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू और दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग, मुख्य सचिव, दिल्ली के सांसदों और दूसरे पक्षों के बीच हुई कई दौर की चर्चा के बाद कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के सबसे पुराने वित्तीय संस्थान भारतीय औद्योगिक वित्त निगम में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा कर 51 फीसद करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। इसके लिए सरकार आइएफसीआइ में 60 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बैठक में आइएफसीआइ में 60 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिससे यह सरकारी कंपनी बन जाएगी। इसके तहत मौजूदा शेयर धारकों से तरजीही शेयरों का अधिग्रहण किया जाएगा।

तरजीही शेयर पूंजी को शामिल कर सरकार की आइएफसीआइ में मौजूदा हिस्सेदारी 47.93 फीसद है। इस तरह के कंपनी कानून, 2013 की धारा 2 (45) के तहत आइएफसीआइ सरकारी कंपनी नहीं है। कंपनी में 60 करोड़ रुपए की पूंजी डालने से इसमें सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 51 फीसद हो जाएगी। वित्त मंत्रालय ने कंपनी में 60 करोड़ रुपए डालकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा कर 51 फीसद करने को कैबिनेट की मंजूरी मांगी थी।

कैबिनेट ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है जिसमें गुजरात के पोरबंदर सहित अपने चार हवाई अड्डों की कुछ जमीन को विभिन्न परियोजनाओं के लिए नौसेना एवं तटरक्षक बल को पट्टे पर देने की बात कही थी। इन हवाई अड्डों पर आवश्यक जमीन को पट्टे पर देने से तटवर्ती क्षेत्रों की बेहतर निगरानी के लिए तटरक्षक बल व नौसेना को विभिन्न सुविधाएं स्थापित करने में सहूलियत मिलेगी। सरकार ने जिन हवाई अड्डों की जमीन पट्टे पर देने की मंजूरी दी है, उनमें पोरबंदर हवाई अड्डा, जुहू हवाई अड्डा, विशाखापत्तनम हवाई अड्डा और तूतीकोरिन हवाई अड्डा शामिल हैं।