Story Behind Arrest of Mohammad Zubair: जिस ट्विटर यूजर की पोस्ट के कारण जून में दिल्ली पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया, वह 36 वर्षीय रियल एस्टेट व्यवसायी है, जो दिल्ली के द्वारका में रहता है और राजस्थान के अजमेर का रहने वाला है। इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि ट्विटर यूजर, जिसने @balajikijaiin हैंडल और “हनुमान भक्त” नाम से जुबैर के खिलाफ अपना ट्वीट पोस्ट किया, ने पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया है। सूत्रों ने कहा कि उसके आईपी पते के बारे में ट्विटर से जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उसका पता लगा लिया।

हैंडल पर एक लाइन का संदेश दिख रहा है कि ट्विटर नियमों का उल्लंघन करने के चलते “एकाउंट सस्पेंड” है। जून में यूजर ने दिल्ली पुलिस को टैग किया था कि 2018 में पोस्ट किए गए एक ट्वीट के लिए जुबैर के खिलाफ कार्रवाई हो। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई, जो साइबर अपराध को देखती है, ने इसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया। जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने कहा- यूजर ने कहा था कि उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं

द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि यूजर को ट्रैक करने के बाद, पुलिस ने उसे एक नोटिस भेजा, जिसमें उसे अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा। एक पुलिस सूत्र ने बताया, “वह द्वारका में आईएफएसओ के कार्यालय में आया और पुलिस को बताया कि ट्वीट देखने के बाद उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।” पुलिस के मुताबिक वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ नहीं लग रहा था।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह कुछ साल पहले द्वारका आया था और अपने परिवार के साथ रहता है। सूत्र ने कहा, “उन्होंने 29 जून को अपना एकाउंट हटा दिया था, लेकिन 30 जून की शाम तक इसे फिर बहाल कर लिया था।”

28 जून को दिल्ली की एक अदालत में जुबैर की रिमांड सुनवाई के दौरान, जुबैर के वकील वृंदा ग्रोवर ने पुलिस आवेदन का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि विचाराधीन ट्विटर अकाउंट शरारत पैदा करने के लिए बनाया गया एक गुमनाम हैंडल था। उन्होंने तर्क दिया था कि खाता उनके मुवक्किल को टारगेट करने के लिए बनाया गया था और यूजर की पुलिस द्वारा जांच की जानी थी।

इस तर्क का खंडन करते हुए, अतिरिक्त लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया था कि यह “एक गुमनाम ट्विटर हैंडल नहीं था।” अभियोजक ने तर्क दिया था “वह सिर्फ एक मुखबिर है। वह एक गुमनाम शिकायतकर्ता नहीं है। उसका विवरण यहां है। विवरण के बिना, किसी को भी ट्विटर अकाउंट नहीं मिल सकता है।”